पटना. देश की सियासत में कुछ वाकये ऐसे होते हैं जो दशकों बाद भी याद किए जाते हैं. वर्ष 1996 बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव पर जब चारा घोटाले में शिकंजा कसा तब उन्होंने सबको चौंका दिया. लालू यादव ने अचानक से अपनी जगह अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया. एक घरेलू महिला को अचानक से रसोईघर से राजनीति में उतार देने का लालू यादव का वह फैसला आज तक सबको हैरान करता है. लेकिन, एक बार फिर से देश की सियासत में कुछ वैसा ही संयोग बनता दिख रहा है. इस बार भी राबड़ी पार्ट 2 की हलचल शुरू हो गई है.
दरअसल, बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में राबड़ी पार्ट 2 की संभावना बनती दिख रही है. झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार से जुड़े विभिन्न मामलों में लगातार केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है. सोरेन से पूछताछ को लेकर ईडी ने आधा दर्जन से ज्यादा बार समन जारी किया है. बावजूद इसके वे अब तक ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं. इस बीच झारखंड में अचानक से मंगलवार को सियासी फेरबदल के आसार की खबरें आने लगी हैं. हेमंत सोरेन की अपने पार्टी के विधायकों के साथ बड़ी बैठकें शुरू हुई हैं.
अटकलों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायकल दल की बैठक बुला ली है. वहीं पार्टी नेता के मुताबिक सोरेन ने 3 जनवरी को गठबंधन सहयोगियों के विधायक दल की बैठक बुलाई है. इसमें कांग्रेस, राजद जैसे हेमंत सरकार के सहयोगी दलों के विधायक शामिल हैं. जेएमएम के महासचिव और कोऑर्डिनेशन कमिटी के सदस्य विनोद पांडेय ने कहा कि 'गठबंधन सहयोगियों के विधायक दल की बैठक 3 जनवरी को मुख्यमंत्री के रांची आवास पर 4.30 बजे बुलाई गई है.' हालांकि, उन्होंने कारण नहीं बताया है कि बैठक क्यों बुलाई गई है और इसमें क्या फैसला लिया जा सकता है.
सूत्रों की मानें तो ईडी के सात बुलावे को दरकिनार कर चुके हेमंत सोरेन पर प्रवर्त्तन निदेशालय अब कोई बड़ा एक्शन ले सकती हैं. ऐसी स्थिति में हेमंत सोरेन को ईडी गिरफ्तार करती है वे अपनी जगह किसी खास को झारखंड का मुख्यमंत्री बना सकते हैं. इसमें पहला नाम हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन का आ रहे हैं. माना जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई के बाद हेमंत सीएम की कुर्सी कल्पना सोरेन सौंप सकते हैं. यानी जैसे चारा घोटाले में फंसने पर लालू यादव ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर चौंका दिया था, वैसा ही अब हेमंत भी कर सकते हैं. ऐसे में झारखंड की सियासत के लिए अगले दो दिन बेहद अहम और उलट-पुलट से जुड़े हो सकते हैं.