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प्रदूषण नहीं, पहाड़ देखने के लिए चल रहा #सालभर60 अभियान,लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण संबंधित आंकड़ों का किया गया है अध्ययन

प्रदूषण नहीं, पहाड़ देखने के लिए चल रहा #सालभर60 अभियान,लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण संबंधित आंकड़ों का किया गया है अध्ययन

PATNA:  लॉकडाउन के दौरान लोगों ने साफ आसमान देखा और स्वच्छ हवा को महसूस किया. दूर-दराज के इलाकों ने हिमालय पहाड़ के दिखने की तस्वीरें सामने आई. जाहिर है यह सब कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण के साफ होने पर ही संभव हो पाया है. 

हाल ही में हावर्ड और इटली में हुए अध्ययनों से पता चला है कि कोरोना वायरस से उन इलाकों में ज्यादा मौतें हुई हैं, जहां प्रदूषण अधिक था. इस बात की चिंता है कि लॉकडाउन खुलने के बाद पूरे बिहार में वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ जाएगा. 

शहरी उत्सर्जन के आंकड़ों के मुताबिक पटना और मुजफ्फरपुर में लॉकडाउन के दौरान पीएम 10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2) के स्तर के साथ-साथ कार्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में बहुत अधिक गिरावट देखी गई. अपने अत्यंत छोटे आकार की वजह से ये खतरनाक प्रदूषकों में एक माने जाते हैं. इससे सांस, फेफड़े संबंधी बीमारियां अधिक संख्या में होती है. 

#सालभर60 के लिए भोजपुरी में तैयार किया गया स्लोगन

इस विश्व पर्यावरण दिवस पर बिहार सहित देशभर के लोगों ने एक साथ मिलकर #सालभर60 अभियान के लिए हाथ मिलाया है. साफ हवा के लिए किया जा रहा यह एक डिजिटल कैंपेन है.

 इस अभियान के माध्यम से लोग सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि शहरों में पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो. जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मानक के रूप में तय किया है. इससे स्वच्छ और साफ वातावरण का निर्माण होगा और लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस से लड़ाई में मदद मिलेगी.

 देशभर के नागरिकों ने सोशल मीडिया ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित अन्य जगहों पर क्लीन एयर फॉर ऑल की मांग करते हुए सालभर60 स्लोगन के साथ पोस्टर साझा किए. स्लोगन बनाए और उसे पर्यावरण मंत्रालय को टैग करते हुए शेयर किया. यह स्लोगन हिन्दी, अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में लिखे गए. यहां तक कि भोजपुरी में लोगों ने पोस्टर और स्लोगन साझा किए.

 केंद्र और राज्य सरकारों को भेजा जाएगा लोगों की मांग

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देशभर के 122 शहर की सूची तैयार की है. ये वो शहर हैं जो बोर्ड की ओर से स्वच्छता के राष्ट्रीय मानक को दूर दूर तक पूरा नहीं करते हैं. राष्ट्रीय स्वच्छ वायू कार्यक्रम के तहत इन इलाकों के सरकारों से पूछा गया है कि वो अपने यहां प्रदूषण को 20-30 प्रतिशत कम करने के लिए क्या उपाय कर रहे हैं.

 इस डिजिटल अभियान का नेतृत्व कर रही संस्था झटका डॉट ओआरजी की कैंपेन प्रमुख शिखा कुमार कहती हैं, ‘’पटना, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में भी लोगों ने लॉकडाउन के दौरान साफ और नीला आसमान देखा है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह स्वच्छ हवा में सांस लेने के लिए बाहर नहीं निकल सकते थे. इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सालभर60 नामक अभियान चलाया जा रहा है.’’

 इस अभियान में प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता 12 साल की रिद्धिमा पांडेय भी शामिल हैं. इसके अलावा पर्यावरण के लिए काम कर रहे देशभर के कई संगठन भी शामिल हो रहे हैं.

 शिखा कुमार के मुताबिक इस दौरान देशभर से मिले विभिन्न पोस्टर और स्लोगन का कोलाज बनाकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को भेजा जाएगा. इसके साथ ही राज्यों के पर्यावरण और स्वास्थ्य मंत्रियों को भी भेजा जाएगा.

 एयर क्वालिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक लॉकडाउन के बाद केवल उद्योगों और गाड़ियों को बंद करके इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. हालांकि बिहार जैसे राज्यों की जरूरतों को देखते हुए में कठोर नियम और नीतियों से जरूर इस तरफ बढ़ा जा सकता है.

 दुनिया के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में सबसे अधिक 21 भारत के हैं. अध्ययनों के आधार पर विशेषज्ञ बता रहे हैं कि कोरोना से उन इलाकों में मौतें अधिक हुई हैं जहां प्रदूषण की मात्रा अधिक पाई गई है.

 अर्बन एमिशन (भारत) नामक संस्था के निदेशक शरत गुट्टीकुंडा का कहना है कि, ‘’हम जाते हैं कि वायू प्रदूषण के स्त्रोत क्या हैं. हमें सड़क, कचरा, उद्योग, बिजली, ट्रांसपोर्ट सबको स्वच्छ बनाना होगा. जाहिर है सालभर60 के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं. बस इसके लिए कुछ अतिरिक्त प्रयास करने होंगे.’’

 दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में फेफड़े के सर्जन और लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ अरविंद कुमार कहते हैं, ‘’हमें सभी के लिए स्वच्छ हवा का लक्ष्य रखना चाहिए. कोविड-19 महामारी ने हमें दिखाया है कि हम भी स्वच्छ हवा रख सकते हैं. साथ-साथ यह भी दिखाया कि खराब हवा हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है, जिससे बीमारियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता बढ़ जाती है. वह कहते हैं, भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण का उच्च स्तर हमारे बच्चों की भलाई के लिए एक बड़ा खतरा है. ‘’

 #सालभर60 कैंपेन के बारे में

यह कैंपेन एक वीडियो के माध्यम से बीते 23 मई को लॉंच किया गया था. प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता 12 साल की रिद्धिमा पांडेय ने इसमें मुख्य भूमिका अदा की है. इस वीडियो के माध्यम से देशभर के लोगों से अपील की गई है कि वह इस अभियान में शामिल हों. विश्व पर्यावरण दिवस यानी 5 जून को साल भर साफ हवा की मांग करते हुए लोग इसमें हिस्सा लें.

 कौन हैं सहयोगी

यह अभियान एक पब्लिक कैंपेन है. इसमें झटका संस्थान के अलावा वातावरण फाउंडेशन, लंग केयर फाउंडेशन, यूथ की आवाज, ग्रीनपीस इंडिया, हेल्प दिल्ली ब्रीद, माइ राइट टू ब्रीद, कोलकाता क्लीन एयर फोरम, मुंबई की आरे कंजर्वेशन ग्रुप, आवाज फाउंडेशन सहित कई अन्य शामिल हैं.

 

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