प्रशांत किशोर के तब और अब के 'अभियान' में अंतर नहीं, 2020 में भी कुछ इसी तरह की बातें कही थी पर हुआ क्या......

PATNA: प्रशांत किशोर एक बार फिर से अपने गृह प्रदेश में सक्रिय हैं। पिछले कुछ दिनों से जाने-माने रणनीतिकार पीके को लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा थी। आज उन तमाम चर्चाओं से खुद प्रशांत किशोर ने पर्दा उठा दिया। पटना में उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी रणनीति का खुलासा किया। पीके ने कहा कि वे बिहार में बदलाव के लिए काम करना चाहते हैं. उनकी मंशा कोई नया राजनीतिक दल बनाने की नहीं है . वे जन सुराज के माध्यम से बदलाव के लिए काम करेंगे। उन्होंने ऐलान किया कि 2 अक्टूबर को वे गांधी की धऱती चंपारण से पदयात्रा की शुरूआत करेंगे। वैसे प्रशांत किशोर ने आज जो ऐलान किया कुछ उसी तर्ज पर 2020 में भी बातें करी थी। तब और आज में बहुत कुछ समानता दिखी। हम आपको तब और अब की वो तस्वीर और बातों से रूबरू करा रहा हूं। वैसे 2020 में प्रशांत किशोर ने जो अभियान लॉन्च किया था उसकी हवा निकल गई थी। कुछ समय बाद वे खुद बिहार छोड़ दिये थे। 

प्रशांत किशोर जन सुराज लायेंगे 

प्रशांत किशोर ने आज गुरूवार को अपनी अगली रणनीति का खुलासा किया। पटना के ज्ञान भवन में बजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस किया। पीसी में वे खुद बैठे थे। उनके पीछे जो बैनर दिख रहा उस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर लगी थी। बैनर पर गांधी जी के एक उपदेश लिखे गये हैं। इस बार प्रशांत किशोर ने अपने अभियान का नाम जन सुराज रखा है। वे बिहार में बदलाव के लिए काम और नया बिहार बनाना चाहते हैं। उन्होंने साफ किया कि वे कोई नया राजनीतिक दल नहीं बना रहे हैं. वे पिछड़े बिहार को नया बिहार बनाना चाहते हैं. इसलिए वे जन सुराज की शुरुआत कर रहे हैं. प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जन सुराज के तहत उनके साथ करीब 17 से 18 हजार  लोग पहले से जुड़े हुए हैं. अगले तीन से चार महीनों के अंदर उनसे जो जुड़े हुए 17 हजार से ज्यादा लोग हैं उन सब से वे व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे और बिहार के विकास एवं बिहार में नए बदलाव पर चर्चा करेंगे. अगर उन लोगों की सहमति बनी तो राजनीतिक दल के गठन के बारे में भी विचार किया जा सकता है. लेकिन फिलहाल कोई राजनीतिक दल नहीं बना रहे हैं. पीके ने आगे कहा कि 2 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण से पद यात्रा की शुरुआत करेंगे. यह यात्रा 3000 किलोमीटर की होगी. इसमें बिहार के हर उस व्यक्ति से मिलने की कोशिश करेंगे जो बिहार में बदलाव चाहता है. प्रशांत किशोर ने कहा कि 2020 में कोरोना की वजह से हमने बिहार में अभियान को बंद कर दिया था। 

पीके ने 2020 में  लॉन्च किया था 'बात बिहार की' 

अब 2020 की उन बातों और तस्वीरों को याद करें तो आपको बहुत कुछ समानता दिखेगी। तब और आज की तस्वीर भी आपको बहुत कुछ इशारा करेगा। फरवरी 2020 में भी प्रशांत किशोर ने पटना में ही अपनी अगली रणनीति का खुलासा किया था। पटना में बजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस किया था। पीसी में वे खुद बैठे थे। उनके पीछे जो बैनर दिख रहा था उस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर लगी थी। बैनर पर गांधी जी के एक उपदेश लिखे गये थे। तब प्रशांत किशोर ने अपने अभियान का नाम ''बात बिहार की'' शुरूआत की थी। फरवरी 2020 में जाने-माने चुनावी रणनीतिकार पीके ने कहा था कि उनकी मुहिम शुरू हो गई है. एक माह में 10 लाख लोगों को जोड़ना है. बिहार के हर गांव, हर पंचायत में जाकर जागरूक लोगों से पूछना भी है और बताना भी कि आखिर बिहार कैसे तरक्की कर सकता है. बिहार आखिर कैसे आने वाले कुछ समय में देश के 10 सबसे अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है. बिहार की 8800 पंचायतों में लोगों को उनकी बात सुनने के लिए चिन्हित करना है.उन्होंने कहा था कि हमारा मकसद बिहार को देश के अच्छे राज्यों में शामिल करना है। 

सीएम नीतीश पर भी साधा था निशाना

प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर भी जमकर निशाना साधा था. उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को लेकर कहा था कि कब तक पिछड़ेपन के लिए कब लालू यादव पर निशाना साधते रहेंगे. आखिर कब तक तुलना करते रहेंगे. आखिर कब बताएंगे कि 15 सालों में सरकार चलाने के दौरान क्या किया. मैं ये मानने को तैयार नहीं हूं कि अगर नीतीश कुमार जैसा शख्स बिहार की तरक्की का ब्लू प्रिंट तैयार करके बिहार के लोगों के सामने रखेंगे तो ऐसा नहीं हो सकता कि बिहार के लोग उनकी बात न मानें। अगर हम गरीब राज्य हैं तो इसे आगे कौन करेगा. नीतीश कुमार 15 साल से शासन चला रहे हैं तो ये काम कौन करेगा.