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शहर का कचड़ा गाँव ले जाने की तैयारी, ग्रामीणों के विरोध के बाद मामले ने तूल पकड़ा

शहर का कचड़ा गाँव ले जाने की तैयारी, ग्रामीणों के विरोध के बाद मामले ने तूल पकड़ा

MOKAMA : अब शहर का कचड़ा गाँव की ओर ले जाने की कवायद तेज कर दी गयी है. मोकामा में इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है. राज्य सरकार ने एक नयी योजना को मंजूरी दी है. जिसके तहत मोकामा नगर परिषद का डंपिंग यार्ड नगर परिषद क्षेत्र से बाहर बनाया जा रहा है. यहाँ शहर के कचड़े को गाँव मे डंप कर रिसाइकिल किया जाएगा. इसके किये मोकामा के औंटा गाँव का चयन किया गया है. नगर परिषद को ये जगह अंचलाधिकारी मोकामा की ओर से दी गयी है. अंचलाधिकारी मोकामा और नगर परिषद के कार्यकारी पदाधिकारी ने चिन्हित स्थल पर ईंट बालू भी गिरा दिया है. 

इस बात को लेकर औंटा गाँव के लोग खासे नाराज हैं. ग्रामीणों का कहना है कि शहर के कचड़े का प्रदूषण गाँव के लोग क्यों झेलें? सरकार को करना है तो शहर में करे. उधर अंचलाधिकारी ने दलील दिया कि शहर में जमीन नही है. दरअसल अबतक राम रतन सिंह महाविद्यालय के पीछे डंपिंग यार्ड बनाकर कचड़ा फेंका जाता था. जिसे महाविद्यालय प्रशासन ने चहारदीवारी से घेर लिया. फिलहाल औंटा हाल्ट के पास सड़क के दोनो किनारों पर कचड़ा फेंका जा रहा है जो नगर परिषद का हिस्सा नही है.

ग्रामीणों की आपत्ति

कूड़ा डंपिंग के लिए जिस स्थल का चयन किया गया है. वह स्थान गाँव से सिर्फ 200 गज की दूरी पर स्थित है और बाढ़ के दिनों में यह स्थान गंगा के मध्य भाग में आ जाता है. इसलिए इससे गंगा भी प्रदूषित होगी और आसपास का वातावरण भी जहरीली हवाओं से भर जाएगा. वहीँ अगर नमामि गंगे परियोजना अस्तित्व में है तो गंगा के अंदर वेस्टेज मैनेजमेंट किस आधार पर किया जा रहा है?

दूसरी बात यह की चयनित स्थल से कुछ ही दूरी पर एक हाईस्कूल भी है. इसमें आसपास के कई गांव के बच्चे पढ़ते है और स्कूल के बॉउंड्री से इस चिन्हित स्थान की दूरी 150 गज रह जाता है. इससे सैकड़ों बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर होगा, साथ ही आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर भी इसका व्यापक असर होगा.

गाँव के लोगों की तीसरी आपति है की यहाँ एक अति प्राचीन शिव मंदिर है जहाँ पूरे सावन और शिवरात्रि में भक्तों का मेला लगा रहता है. इस बात को लेकर भी ग्रामीणों की नाराजगी है कि ऐसे पवित्र स्थल के पास कचड़ों की डंपिंग कैसे की जा सकती है. अंत मे ग्रामीण ये भी कहते हैं कि मुंडन से लेकर अंतिम संस्कार तक और छठ से लेकर कोई भी धार्मिक कार्य हो इसी रास्ते से ईलाके के लोगों का आना-जाना होता है.

इस मामले को लेकर आज ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और एक प्रतिनिधिमंडल ने अंचलाधिकारी और कार्यकारी पदाधिकारी से मुलाकात कर इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है. दोनों पदाधिकारियों ने ग्रामीणों को गंभीरता से इस मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया है.

पटना ग्रामीण से रवि शंकर शर्मा की रिपोर्ट

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