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लौहपुरुष एवं भारत के बिस्मार्क सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की पुष्पांजलि अर्पित, PM मोदी ने भी किया याद, पूरा देश मना रहा राष्ट्रीय एकता दिवस

लौहपुरुष एवं भारत के बिस्मार्क सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की पुष्पांजलि अर्पित, PM मोदी ने भी किया याद, पूरा देश मना रहा राष्ट्रीय एकता दिवस

दिल्ली- अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं कर्मठता से नवजात भारत गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान कर विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर एक अमिट आलेख लिखने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद भी, सरदार पटेल का योगदान अविस्मरणीय है। महात्मा गांधी ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी। सरदार पटेल देश के पहले गृह मंत्री थे और उन्होंने आजादी के बाद भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसलिए उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। पूरा देश सरदार को आज याद कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 148वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए उनकी प्रतिबद्धता आज भी सभी का मार्गदर्शन करती है। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सरदार पटेल की जयंती पर, हम उनकी अदम्य भावना, दूरदर्शी नेतृत्व और असाधारण समर्पण को याद करते हैं जिससे उन्होंने हमारे राष्ट्र के भाग्य को आकार दिया। राष्ट्रीय एकता के लिए उनकी प्रतिबद्धता आज भी हमारा मार्गदर्शन करती है। हम हमेशा उनकी ऋणी रहेंगे।'' 

‘एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘सरदार साहब का राष्ट्र को समर्पित जीवन व देश के पहले गृह मंत्री के रूप में देश-निर्माण के कार्य हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। लौह पुरुष सरदार पटेल जी को उनकी जन्म-जयंती पर कोटिश: नमन व सभी देशवासियों को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस' की शुभकामनाएं।''  

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई प्रमुख नेताओं ने भी सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रीय राजधानी के पटेल चौक पर आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू, धनखड़, शाह और अन्य नेताओं ने भारत के पहले गृह मंत्री की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।

बता दें पटेल एक मज़बूत, अडिग और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व के धनी थे, भारत के देशभक्तों में एक अमूल्य रत्न थे एवं आधुनिक भारत के शक्ति स्तम्भ थे। आत्म-त्याग, अनवरत सेवा तथा दूसरों को दिव्य-शक्ति की चेतना देने वाला उनका जीवन सदैव प्रकाश-स्तम्भ की अमर ज्योतित रहेगा।  गांधीजी के कुशल नेतृत्व में सरदार पटेल का स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान उत्कृष्ट एवं महत्त्वपूर्ण रहा है। सरदार पटेल द्वारा 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी। 1947 में भारत को आजादी तो मिली लेकिन बिखरी हुई। इतनी रियासतें थीं, कुछ बेहद छोटी तो कुछ बड़ी। ज्यादातर राजा भारत में विलय के लिए तैयार थे। लेकिन, कुछ ऐसे भी थे जो स्वतंत्र रहना चाहते थे। यानी ये देश की एकता के लिए खतरा थे। सरदार पटेल ने इन्हें बुलाया और समझाया। वे मानने के लिए तैयार नहीं हुए तो पटेल ने सैन्य शक्ति का इस्तेमाल किया। सरदार पटेल ने फरीदकोट के नक्शे पर अपनी लाल पैंसिल घुमाते हुए केवल इतना पूछा कि ‘क्या मर्जी है?’ राजा कांप उठा। आज एकता के सूत्र में बंधे भारत के लिए देश सरदार पटेल का ही ऋणी है। लक्षद्वीप समूह को भारत में मिलाने में भी पटेल की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। महात्मा गांधी ने सरदार पटेल के बारे में लिखा था, ‘रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।’  भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री व गृहमंत्री सरदार पटेल भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी योद्धा व भारत सरकार के आधार स्तंभ थे।  सरदार पटेल गृहमंत्री के पद पर रहते हुए जहां पाकिस्तान की छद्म व चालाकीपूर्ण चालों से सतर्क थे वहीं देश के विघटनकारी तत्वों से भी सावधान करते थे। 

सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव लेकर सरदार पटेल महात्मा गांधी के पास गए थे। गांधी जी ने प्रस्ताव पर न केवल अपना आशीर्वाद दिया, बल्कि जनता से धन एकत्रित कर मंदिर निर्माण का सुझाव दिया था। बाद में सरदार पटेल की मृत्यु के बाद मंदिर पुनर्निर्माण का कार्य के एम मुंशी के निर्देशन में पूरा किया गया। मुंशी उस समय भारत सरकार के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री थे।सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, स्वतंत्र भारत की सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित परियोजना के रूप में जाना जाता है।

फ्रैंक मोराएस जैसे विचारक ने सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में  लिखा भी है- ‘‘एक विचारक आपका ध्यान आकर्षित करता है, एक आदर्शवादी आदर का आह्वान करता है, पर कर्मठ व्यक्ति, जिसको बातें कम और काम अधिक करने का श्रेय प्राप्त होता है, लोगों पर छा जाने का आदी होता है, और पटेल एक कर्मठ व्यक्ति थे।’’


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