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औरंगाबाद में मौत बाँट रहे निजी अस्पताल, सिविल सर्जन ने जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम का किया गठन

औरंगाबाद में मौत बाँट रहे निजी अस्पताल, सिविल सर्जन ने जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम का किया गठन

AURANGABAD : जिले में निजी अस्पताल कुकुरमुत्ते की तरह उगे हुए है। इनमें वैध-अवैध दोनों तरह के अस्पताल शामिल है। खास बात यह है कि दोनों ही मौत बांट रहे है। लंबें समय की बात छोड़कर यदि सिर्फ तीन माह की ही बात करे तो यहां इन अस्पतालों में तीन माह में तीन मौतें हो चुकी है। मतलब औसत प्रति माह एक मौत का है। मौत बांटने वाले सभी अस्पतालों पर आरोप एक ही है। सब पर आरोप गलत इलाज करने का ही है। 

हाल-फिलहाल की घटनाओं पर नजर दौड़ाएं तो पहला मामला औरंगाबाद शहर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बी किशोर के प्राईवेट हॉस्पिटल का है। डॉ. किशोर के अस्पताल में कुटुम्बा थाना के जमुआ गांव निवासी अनीश कुमार सिंह के नवजात शिशु की मौत का है। नवजात शिशु को एनआइसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी। उस वक्त परिजनों ने हंगामा भी किया था। दूसरा मामला शहर के सत्येंद्रनगर स्थित डॉ. संतोष कुमार के हॉस्पिटल का हैं और यह मामला राजद के जिला प्रवक्ता डॉ. रमेश यादव से ही जुड़ा है। डॉ. यादव का भतीजा मनीष कुमार(22) बाइक से अपनी मां को साथ लेकर खुद अपना ही फीवर का इलाज कराने आया था, जहां स्लाइन चढ़ाने के बाद उसकी मौत हो गई। मौत के बाद चिकित्सक फरार हो गया। चूंकि राजद नेता के भतीजे की मौत हुई है। इस कारण राजद नेता आंदोलन पर है। फिलहाल डॉ. संतोष का अस्पताल बंद है और वह फरार है। इधर राजद नेता डॉक्टर की गिरफ्तारी और चिकित्सक का निबंधन रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलनरत है और घटना के विरोध कैंडल मार्च तक निकाला जा चुका है। तीसरा मामला ओबरा के अरविंद हॉस्पिटल में अदमा गांव की सीता देवी की मौत का है। महिला इलाज कराने आई थी। अस्पताल में स्लाइन चढ़ाने के बाद उसकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद इलाज करने वाले डॉक्टर ने एंबुलेंस से दाउदनगर स्थित अपने ही अस्पताल में भेज दिया, जहां उसकी मौत हो गई। 

मौत के बाद  दाउदनगर के अरविंद हॉस्पिटल ने मृतका का शव उसके गांव भेज दिया। गांव में शव आते ही परिजनों ने ओबरा आकर अरविंद हॉस्पिटल पर प्रदर्शन भी किया। गलत इलाज करने का आरोप लगाया। प्रदर्शन की सूचना पर पुलिस आई हंगामें को शांत कराई। अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। साथ ही अस्पताल की ओर से भी प्रदर्शन करने वालों पर एक एफआईआर दर्ज कर लिया। दरअसल ताजा तरीन ये तीन मामले प्राइवेट अस्पतालों की कारगुजारियों की बानगी मात्र है। पूर्व में भी ऐसे अस्पताल थोक के भाव में मौत बांट चुके है लेकिन आजतक इन पर कोई कार्रवाई नही हुई है। नतीजतन ये अस्पताल आज भी सीना तान कर खड़े है। 

पूरे मामले में पूछे जाने पर औरंगाबाद के सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रविभूषण श्रीवास्तव ने कहा कि दो निजी अस्पतालों में दो की मौत की शिकायत उनके संज्ञान में आई है। दोनों ही मामलों में चिकित्सक पर गलत इलाज करने का आरोप है। मामले की जांच के लिए उनके नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमिटी गठित की गई है। जांच कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट

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