बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

कटिहार के गोगाबिल झील से प्रवासी पक्षियों का अपने वतन लौटने का शुरू हुआ सिलसिला, हजारों की संख्या में पहुंचे सैलानी

कटिहार के गोगाबिल झील से प्रवासी पक्षियों का अपने वतन लौटने का शुरू हुआ सिलसिला, हजारों की संख्या में पहुंचे सैलानी

KATIHAR : कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड के गोगाबिल झील में प्रवासी पक्षियों की एसीआई जल पक्षी गणना का कार्यक्रम वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार द्वारा संचालित किया गया। पक्षी गणना मंदार नेचर कल्ब, भागलपुर के संस्थापक अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में किया गया। जिसमें कटिहार के वन क्षेत्र पदाधिकारी सत्येंद्र झा का विशेष सहयोग रहा। पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया कि पक्षियों के लिए बिहार के एकमात्र कम्युनिटी रिजर्व ऑफ कन्जर्वेशन रिजर्व गोगाबिल झील में प्रतिवर्ष सात-आठ हजार की संख्या में प्रवासी एवं देशी पक्षियों का कलरव हुआ करता है। 

अब गर्मी के शुरू होते ही प्रावसी पक्षी अपने मूल निवास की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षियों का कलरव करते हुए उनकी दिनचर्या को कैमरे में कैद किया गया। ठंड का मौसम शुरू होते ही नवंबर से विदेशी पक्षियां आने लगते हैं। और गर्मी का मौसम शुरू होते ही ये सभी विदेशी पक्षी अपने घर को लौटने लगते हैं। अभी यहां प्रवासी पक्षियों में मुख्य रूप से रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन कूट, गार्गेनी, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, ऑस के अलावा ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी बाइबिस के साथ देशी पक्षयों की विशेष प्रजातियों में ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी आइबिस जैसे पक्षी पाए गए।

इस पक्षी विहार में हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से लगभग सैकड़ों प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। इन मेहमान पक्षियों में मुख्य रूप से लालसर, कॉमन पोटचार्ड, गढ़वाल, कॉमन टील, कूट, और ब्रहमिनी डक और हंस जैसे पक्षी शामिल होते हैं। गोगाबिल झील में विदेशी पक्षी प्रवास के लिए पहुंचते है। साइबेरियन, मंगोलिया जैसे अन्य देशों के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी यहां प्रवास करते हैं। अक्टूबर-नवंबर से फरवरी-मार्च तक यहां प्रवास करते हैं और अप्रैल-मई के महीने में ऐसे प्रवासी पक्षी अपने वतन को लौटने लगते हैं। फिर भी अभी यहां खासी संख्या में पक्षियों की संख्या को कैमरे में कैद किया गया।

पक्षी गणना में मुख्य रूप से वनरक्षी बिपिन कुमार, सर्प विशेषज्ञ वतन कुमार, पक्षी प्रेमी राजीव कुमार, पर्यावरण प्रेमी प्रशांत कुमार कन्हैया, पक्षी प्रेमी दीपक कुमार और गरूड़ सेवियर्स संजीव कुमार का सराहनीय योगदान रहा।

REPORTED BY SHAYAM

Suggested News