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सामने आया पुलिस का सुस्त रवैया, दो साल पहले महिलाओं से मारपीट करनेवाले घूम रहे हैं खुलेआम, नहीं हुई कार्रवाई

सामने आया पुलिस का सुस्त रवैया, दो साल पहले महिलाओं से मारपीट करनेवाले घूम रहे हैं खुलेआम, नहीं हुई कार्रवाई

SUPAUL :- पुलिस व प्रशासन की, तमाम चुस्ती के बाद भी पिछले दो साल की पुलिस के सुस्त अनुसंधान के कारण लंबित मामलों का बेहतर तरीके से निबटारा नहीं हो पा रहा है। भले ही सरकार पुलिस महकमे और नागरिकों को को हर सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रही हो, लेकिन सुशासन के पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। मामला त्रिवेणीगंज थाने से जुड़ा है 2020 में रंगदारी मांगने एवं महिलाओं के साथ मारपीट करने को लेकर कांड संख्या 232 /20 सात लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था। जिसमें मनोज रोशन, दीपक कुमार यादव सहित अन्य लोगों को  अभियुक्त बनाया गया था। जो कि संगीन धाराओं में कांड संख्या दर्ज हुआ है। इन घटनाओं में अनुसंधान नहीं हो पाना पुलिस के लिए दुर्भाग्य हैं। आखिर अनुसंधान में सुस्ती का कारण क्या है। क्यों नहीं किया जा रहा है कांड की अनुसंधान यह त्रिवेणीगंज पुलिस के लिए बहुत बड़ा सवाल है। हद तो यह कि जब पुलिस की वरीय अधिकारियों का दबाव रहता है कि जल्द ही लंबित कांड उदभेदन करें लेकिन त्रिवेणीगंज पुलिस की इस कांड को लेकर सुस्त रवैया देखी जा रही है।

 मजे की बात  है, कि कांड संख्या 232 /20 को लेकर थाना प्रभारी से पूछा जाता है. तो थाना प्रभारी कांड को दबाने के लिए बताया जाता है. कि उस कांड में बेल माफ हो गया. लेकिन पुलिस के वरीय अधिकारी से सूचना अधिकार तहत मांगी गई जवाब में कुछ और ही नजारा देखने को मिला। पुलिस के वरीय अधिकारी की दिए गए जबाब के अनुसार बताया कि कांड संख्या 232/20 कांड संख्या 231/20 से संबित है. उपयुक्त दोनों कांडो में पत्रकार और व्यवसाईयों के बीच हुए विवाद में एक दुसरे विरूद्ध दर्ज कराया है। कांड संख्या 232/20 में दिपक कुमार यादव प्राथमिक नामजद अभियुक्त बनाया  गया है .उपरोक्त दोनो कांडो में अभियुक्तकरण का निर्धारण नही हुआ है .अनुसंधान जांच  एवं सत्यापन के क्रम में आये तथ्यों के आलोक में अभियुक्तकरण निर्धारित होनो के उपरांत गिरफ्तारी आदि की कार्यवाई की जाएगी। लेकिन अभी तक दोनो केस की पुलिस सत्यापन नही कर सके।जानकर आप तो हैरत में पड़ गए होंगे। लेकिन त्रिवेणीगंज पुलिस की सच्चाई है, 

कांड संख्या 232 /20 में क्या था मामला

व्यवसाई की तरफ से दिए गए आवेदन तहत कांड संख्या 232 में बताया कि इन सभी पत्रकारों के द्वारा पूर्व में एक लाख रूपये रंगदारी मांगी गई थी. तुम अरूवा चावल सप्लाई करते हो तुमको एक लाख रुपये देना होगा। जिसमें हम लोग नहीं दे पाए। उसी दौरान यह सभी लोग मेरे घर में घुसकर रंगदारी कि रुपया अभी तक नहीं पहुंचाने की बात कहते हुए गाली गलौज देने लगा एवं महिलाओं की अश्लील वीडियो बनाने लगा। उसके अलावा महिलाओं के साथ मारपीट की जब तक में सूचना पाकर वहां पुलिस पहुंचे पुलिस ने इन सभी को वहां से ले आया, वहीं दूसरे तरफ कांड संख्या 231/20 में पत्रकारों के तरफ दिए गए आवेदन में आरोप लगाया कि खबर कवरेज करने के लिए उस रास्ते से जा रहे थे। तभी वह लोग घेर कर बुरी तरह मारपीट किया एवं बंधक बना लिया, पुलिस वहां से हमलोगों झुरा कर  लाया, खाइर सच्चाई जो भी हो यह तो जांच की बिषय है. लेकिन इन घटनाओं में अनुसंधान नही हो पाना पुलिस के बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

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