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भारत छोड़ो अभियान: स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान जिन्होंने आजादी की नींव रखी

भारत छोड़ो अभियान: स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान जिन्होंने आजादी की नींव रखी

देश की आज़ादी में 09 अगस्त का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. आज़ादी की नींव इससे ही रखी गई थी. द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया जिससे ब्रितानिया हुकूमत में दहशत फैल गई. इस आंदोलन की शुरुआत नौ अगस्त 1942 को हुई थी इसीलिए इतिहास में नौ अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है.


इस आंदोलन में पूरे देश ने भाग लिया और अंग्रेज़ो को बहार का रास्ता दिखा दिया। इस आंदोलन का एक मात्र लक्ष्य अंग्रेजी हुकूमत समाप्त करना था. यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रसिद्ध काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ शुरू हुआ था.

8 अगस्त 1942 को कमिटी ने इस आंदोलन का नाम भारत छोड़ो आंदोलन रखा था जिसे अगस्त क्रांति आंदोलन भी कहते है. नामकरण के तुरंत बाद महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर लिया गया था. गिरफ्तारी के बाद भी आंदोलन रुका है और युवा कारकर्ताओं ने आंदोलन जारी रखा. भारत छोड़ो आंदोलन काफी बड़े स्तर पर किया गया था और इसने अंग्रेजी हुकूमत तक को हिला दिया था.

देश को आजादी दिलाने में भारत छोड़ो आंदोलन की विशेष भूमिका रही है। अगर उस वक़्त ये आंदोलन शुरू नहीं होता तो शायद आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम होते। 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का आगाज हुआ था. अंग्रेज़ों ने इस आंदोलन को रोकने के काफी प्रयास किये लेकिन हमारे पूर्वज मैदान में डटे रहे. इस दिन हम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को भी याद करते है. 

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