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रामेश्वरम के रामसेतु को मिलेगा राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में होगी महत्वपूर्ण सुनवाई

रामेश्वरम के रामसेतु को मिलेगा राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में होगी महत्वपूर्ण सुनवाई

दिल्ली. अयोध्या में रामलला मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद भारत के सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाने की दिशा में भाजपा नेता की ओर से एक और बड़ी पहल की जा रही है. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित रामायण कालीन रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करके संरक्षण देने के मामल में सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च को सुनवाई का आश्वासन दिया है.

इस मामले की सुनवाई पिछले कई महीनों से लंबित है. अब इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच को स्वामी ने बताया कि याचिका को कार्य सूची से हटाया नहीं गया है. इस पर बेंच ने 9 मार्च को सुनवाई का आश्वासन दिया. 

रामसेतु को लेकर यह विवाद पिछले कई दशकों से लंबित है. खासकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह नीत यूपीए सरकार के शासनकालन 2015 में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के तहत जहाजों के लिए रास्ता बनाने रामसेतु को तोड़ा जाना था. हालांकि बाद में यह कार्रवाई रोक दी गई. वहीं रामसेतु की पौराणिक और ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए इसे  राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग उठने लगी. 

दरसल वर्ष 2015 में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट की तब लागत करीब ढाई हजार करोड़ थी. प्रोजेक्ट के तहत बड़े जहाजों के आवागमन के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे। ऐसा होने पर जहाजों का समय 30 घंटे बचता. इन चैनल्स में से एक राम सेतु भी है जिसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है. इसे तोड़ने की योजना थी. इस समय श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने की वजह से जहाजों को लंबा रास्ता तय करना पड़ता है.

राम सेतु के बारे में 

राम सेतु का जिक्र बाल्मिकी रामायण में मिलती है. इसके अनुसार, रावण सीता का अपहरण करके उसे लंका(आज के समय का श्रीलंका) ले गया था. तब वानर सेना ने तैरने वाले पत्थर डालकर समुद्र में रास्ता बनाया था. कहा जाता है कि यह रामसेतु वही है. रामसेतु भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की एक चेन कहा जाता है. यह भारत के लिए रामसेतु, तो बाकी दुनिया के लिए एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) है. राम सेतु की लंबाई करीब 30 मील (48 किमी) है. समुद्र में डूबा रामसेतु मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक-दूसरे से अलग करता है. पुरातत्वविद मानते हैं कि कोरल और सिलिका पत्थर जब गरम हो जाता है, तो उनमें हवा भर जाती है. यानी वे हल्के होने से पानी में तैरने लगते हैं. इतिहासकारों के अनुसार, 1480 में एक भयंकर तूफान से इस पुल को नुकसान पहुंचा था. इससे पहले श्रीलंका और भारत के बीच आने-जाने वाले लोग इसी पुल का इस्तेमाल करते थे. अमेरिकी रिसर्च भी मानती है कि यह 7000 साल पुराना है.


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