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भाजपा से नजदीकी में RCP नपे.. RJD से नजदीकी ललन सिंह को पड़ा महंगा ! दोनों को होना पड़ा OUT

भाजपा से नजदीकी में RCP नपे.. RJD से नजदीकी ललन सिंह को पड़ा महंगा ! दोनों को होना पड़ा OUT

दिल्ली- बिहार की सियासी बयार में गर्मी महसूस होने लगी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से ललन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. कमान बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने संभाल लिया है. ललन के पद से हटने के बाद कई सवाल बिहार की राजनीतिक वादियों में तैर रहे हैं. याद कीजिए जुलाई साल 2022 जब आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. आरसीपी सिंह की यह राजनीतिक दुर्गति इसलिए हुई क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसा उनसे उठ गया. भरोसा बहुत ज्यादा था.  तभी प्रधान सचिव से सांसद और फिर जेडीयू अध्यक्ष तक बना दिया. लेकिन बतौर जेडीयू अध्यक्ष बीजेपी से मंत्री पद की डील में आरसीपी सिंह से जो चूक हुई और बीजेपी की तरफ से एक मंत्री पद का ऑफर उन्होंने मंजूर करके जो खुद शपथ ले ली, वो नीतीश कुमार को खटक गई. आरसीपी या उपेंद्र कुशवाहा की किसी भी बात पर खुद नीतीश कुमार  भी कहते थे कि वे किसी और के इशारे पर बोल रहे हैं. तब उनका इशारा भाजपा की ओर हुआ करता था. उस समय जेडीयू में ललन सिंह की तूती बोलती थी और नीतीश कुमार के बाद सबसे पावरफुल नेताओं में उनकी गिनती थी. आज वहीं ललन सिंह राजद के अलावा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव  के करीबी होने का आरोप झेल रहे हैं. 

लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से ललन सिंह की बढ़ती नजदीकियों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाखुश थे और उन्होंने 29 दिसंबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई है.  राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश ललन सिंह के साथ पहुंचे. ललन सिंह ने इस्तीफा दिया ओर नीतीश के पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली. बैठक के बाद नीतीश ललन को साथ लेकर बाहर निकले. 

पहले जदयू ने आरसीपी का राज्यसभा टिकट काट दिया और फिर नीतीश सरकार ने पटना में उनका बंगला भी छीन लिया.जदयू में गुटबाजी को बढ़ावा देने और भाजपा से नजदीकियों को लेकर वह सीएम नीतीश कुमार के निशाने पर थे. आरसीपी सिंह को जब 2021 में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था तभी से जदयू में उनका विरोध शुरू हो गया था. जदयू प्रमुख व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी के चलते पार्टी ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा टिकट देने से इनकार कर दिया. उन्हे केंद्रीय मंत्रिमंडल की कुर्सी  भी छोड़नी पड़ी थी. 

ललन सिंह की आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ नजदीकियां बढ़ना  नीतीश कुमार को यह रास नहीं आ रहा है. नीतीश को राजनीति का सबसे माहिर खिलाड़ी माना जाता है. इंडी गठबंधन की चौथी बैठक के बाध नीतीश पटना लौट आए थे लेकिन ललन सिंह बैठक के दूसरे दिन लालू के साथ पटना पहुंचे, यह सूत्रों के अनुसार नीतीश को खटका था.वहरहाल  लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने अध्यक्ष पद अपने पास रख लिया है. अब जदयू से ललन युग का अंत हो गया है.

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