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बगावत : अफसरशाही के खिलाफ जदयू विधायक डॉ संजीव ने किया हल्ला बोल,मंत्री का इस्तीफा,अब 4 और एमएलए ने फूंका बिगुल

बगावत : अफसरशाही के खिलाफ जदयू विधायक डॉ संजीव ने किया हल्ला बोल,मंत्री का इस्तीफा,अब 4 और एमएलए ने फूंका बिगुल

PATNA :  बिहार में अफसरशाही को लेकर उपजा विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। अब तक सिर्फ समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ही यह आरोप लगा रहे थे, अब यह सूची और लंबी होती जा रही है। जिसमें सीएम नीतीश के दूसरे मंत्री सहित जदयू के विधायक भी यह मान रहे हैं कि बिहार में स्थिति सही नहीं है। यहां कुछ अफसर ऐसे हैं जो खुद को मंत्रियों से ऊपर मानते हैं. भाजपा जदयू ने इन विधायकों ने मदन सहनी के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा है कि उनके आरोप पूरी तरह से सही हैं। जिन विधायकों ने मदन सहनी का समर्थन किया है, उनमें विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू, हरिभूषण ठाकुर बचौल विधायक डॉ.मिथिलेश कुमार, अरुण शंकर प्रसाद और जदयू के डॉ संजीव कुमार भी सहनी के पक्ष में आ गए।

विधायक ने एसपी से बताया था अपनी जान को खतरा

मदन साहनी के अफसरशाही के आरोपों के समर्थन में एक नाम खगड़िया के परबत्ता विधायक डॉ. संजीव कुमार का भी है। डॉ. संजीव कुमार वहीं हैं, जिन्होंने सबसे पहले एक आईपीएस पर मनमानी और अपराधियों से सांठगांठ का आरोप लगाया था। उन्होंने इस संबंध में सीएम को एक लेटर भी लिखा था, जिसमें खगड़िया एसपी से अपनी जान का खतरा बताया था। इस संबंध में उन्होंने पुलिस मुख्यालय से एसपी के तबादले की मांग भी की थी, लेकिन यहां भी अफसरशाही हावि रही और विधायक की शिकायत के बाद जांच के नाम पर खानापूर्ति कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। डा. संजीव ने इस पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि सारे अफसर ऐसे नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सही बातों को अफसर नहीं मानेंगे तो लोकतंत्र का मतलब क्या होगा।

अपने फैसले पर अडिग

अफसरशाही का आरोप लगानेवाले समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी इस्तीफा देने पर अडिग हैं। उन्होंने कहा- निर्णय कर चुके है। पीछे नहीं हटेंगे। जिन मुद्दों को हमने उठाया है उन पर बात करने के लिए अपने नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शनिवार का मिलने का समय मांगेंगे। माना जा रहा है कि वह आज पटना आ सकते हैं।

मंत्री से बड़ा हो गया सचिव

पीएचईडी मंत्री रामप्रीत पासवान ने कहा है कुछ पदाधिकारी मनमानी करते हैं इसे नकारा नहीं जा सकता। हम शुरु से कहते रहे हैं कि मंत्री बड़ा होता है न कि सचिव। इसी तरह भाजपा विधायक डा. मिथिलेश ने कहा कि पद से बड़ा सिद्धांत होता है। सहनी के त्याग की भावना को मैं सलाम करता हूं। मंत्री ने जो मुद्दा उठाया है उसकी जांच होनी चाहिए। 

सीएम सचिव की सोच पॉलटिकल होनी चाहिए, अफसरवाली नहीं

इसी तरह भाजपा के विधायक अरुण शंकर ने कहा कि विधायिका के सम्मान में कुछ अफसरों का अहंकार आड़े आ रहा है। मदन सहनी की बातें सही हैं, तो यह बहुत दुखद है; हास्यास्पद है। वहीं ट्रांसफर पोस्टिंग में पैसों का खेल का आरोप लगानेवाले भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने सीएम के प्रधान सचिव के काम पर सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव को पॉलिटिकल सोच वाला होना चाहिए। अफसर मिजाज वाले लोगों से बातचीत ठीक से बढ़ नहीं पाती। इसी तरह सभी मदरसों को आतंकी ठिकाना बतानेवाले विधायक हरिभूषण बचौल ने विधायकों की स्थिति चपरासी से भी बदत्तर बता दिया। उन्होंने कहा कि अधिकारी सुनते नहीं। अपने क्षेत्र की समस्या लेकर आखिर हम कहां जाए?

विधायकों को सरंक्षण दिया जाए

जदयू अति पिछड़ा प्रकोष्ठ ने सीएम से आग्रह किया है कि वे मंत्री की बात नहीं सुनने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करें; मदन सहनी को संरक्षण दें। प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष दीपक निषाद ने कहा कि अतिपिछड़ा समाज अपने नेता का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।

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