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'आरक्षण के भीतर मिलेगा आरक्षण '... सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, एससी-एसटी कोटे के रिजर्वेशन पर पड़ेगा बड़ा असर

'आरक्षण के भीतर मिलेगा आरक्षण '... सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, एससी-एसटी कोटे के रिजर्वेशन पर पड़ेगा बड़ा असर

DESK.  उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में 'पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम 2006' को बरकरार रखते हुए कहा कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण के भीतर आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का उप-वर्गीकरण किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की संविधान पीठ ने छह-एक के बहुमत वाले अपने फैसले में पंजाब के अलावा तमिलनाडु और अन्य राज्यों में इस तरह के उप-वर्गीकरण के लिए कानून की वैधता को बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने बहुमत से असहमति वाला फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह का उप-वर्गीकरण स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं। फैसले के अंश पढ़ते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐतिहासिक और अनुभवजन्य साक्ष्य संकेत देते हैं कि अनुसूचित जाति एक समरूप वर्ग नहीं है। उन्होंने कहा कि एससी के भीतर उप वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है। 


शीर्ष अदालत ने पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम 2006 की वैधता से संबंधित एक मामले पर विचार करने के बाद अपना यह फैसला सुनाया। इस अधिनियम में आरक्षित श्रेणी के समुदायों का उप-वर्गीकरण करने का प्रावधान है। संविधान पीठ ने पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए ऐसे मामले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के 2004 के फैसले को खारिज कर दिया। संविधान पीठ ने 'ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य' के 2004 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एससी/एसटी का उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 341 के विपरीत है। 


पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि व्यवस्थागत भेदभाव के कारण एससी/एसटी के सदस्य अक्सर आगे नहीं बढ़ पाते हैं। अनुच्छेद 14 जाति के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है। यह जांचना चाहिए कि क्या कोई वर्ग समरूप है या नहीं और किसी उद्देश्य के लिए एकीकृत न किए गए वर्ग को आगे वर्गीकृत किया जा सकता है।”

आरक्षण के भीतर आरक्षण क्या है ? 

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के लिए उप-वर्गीकरण को “कोटा के भीतर कोटा” कहा जाता है. यानी कि अगर एक समुदाय या श्रेणी के लोगों को आरक्षण दिया जा रहा है तो उसी श्रेणी का उप वर्गीकरण करके उनके बीच आरक्षित सीटों का बंटवारा करना. उदाहरण के तौर पर अगर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत तय है तो इस वर्ग में शामिल जातियों और उनके सामाजिक, आर्थिक पिछेड़ेपन के आधार पर अलग-अलग आरक्षण देना. 

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