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महाराजगंज से लोकसभा चुनाव जीतने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं सच्चिदानंद राय, सियासी से लेकर जातीय समीकरण तक सबकुछ कर लिया सेट, टेंशन में भाजपा

महाराजगंज से लोकसभा चुनाव जीतने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं सच्चिदानंद राय, सियासी से लेकर जातीय समीकरण तक सबकुछ कर लिया सेट, टेंशन में भाजपा

पटना. बिहार में महाराजगंज लोकसभा सीट इस बार के चुनाव में नया इतिहास कायम करने का सियासी समर बनने जा रहा है. यहां से लोकसभा चुनाव में निर्दलीय एमएलसी सच्चीदानंद राय ने सियासी ताल ठोक दी है. उन्होंने शनिवार को कहा कि महाराजगंज से चुनाव लड़ने के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं. यहां से भाजपा ने मौजूदा सांसद जनार्दन प्रसाद सिग्रीवाल को फिर से उम्मीदवार बनाया है. वहीं सच्चिदानंद राय की पत्नी इंदु राय कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतर सकती हैं. सच्चिदानंद राय ने शनिवार को न्यूज़4नेशन से विशेष बातचीत में माना कि इसे लेकर उनकी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से बातें हो रही हैं. साथ ही महाराजगंज में जीत को लेकर भी वे आश्वस्त दिखे. 

एमएलसी चुनाव में दो बार भाजपा को हराया : सच्चिदानंद राय ने कहा कि पिछले चुनावों में उनके सर्मथन से ही भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई थी. 2015 में भाजपा से एमएलसी बनने वाले सच्चिदानंद राय को जब 2022 में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोकी और जीत हासिल किए. इतना ही नहीं पिछले वर्ष हुए एमएलसी चुनाव में प्रशांत किशोर के जन सुराज से समर्थन प्राप्त अफाक अहमद ने भी सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता तो उनकी जीत के पीछे सच्चिदानंद राय की अहम भूमिका मानी गई. अब वही करिश्मा लोकसभा चुनाव में सच्चिदानंद राय ने महाराजगंज में दिखाने का दावा किया है. 

महाराजगंज चाहता है बदलाव : उन्होंने कहा कि वे किसी नेता या दल का परिक्रमा करने में विश्वास नहीं करते बल्कि पराक्रम में विश्वास करते हैं. पिछले चुनावों में लोकसभा हो या एमएलसी का चुनाव उन्होंने यह दिखाया है कि जनता से उनका कैसा जुड़ाव है. लगातार जन समर्थन से वे बड़ी जीत हासिल करते रहे हैं. इस बार ऐसा ही उत्साह और जन दबाब उन्हें लेकर महाराजगंज में है. महाराजगंज के लोग चाहते हैं कि इस बार सच्चिदानंद राय वहां से चुनाव लड़ें. इसलिए उन्होंने महाराजगंज से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. भाजपा के जनार्दन प्रसाद सिग्रीवाल को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि सिग्रीवाल अपने बलबूते एक वार्ड का चुनाव नहीं जीत सकते हैं. ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव में महाराजगंज नया इतिहास बनाएगा. 

जातीय समीकरण पक्ष में : दरअसल, महाराजगंज में कई सियासी समीकरण भी सच्चिदानंद राय के दावों को बल देता है. भूमिहार जाति से आने वाले सच्चिदानंद राय के लिए यहां का जातीय समीकरण उनके मुफीद है. महाराजगंज लोकसभा के अंदर जो छह विधानसभा सीटें हैं उनमें चार एकमा, मांझी, बनियापुर और तरैया सारण जिले के अंदर आती हैं। दो सीट गौरेयाकोठी और महाराजगंज सीवान जिले में हैं। महाराजगंज लोकसभा सीट पर वोटर लगभग 19 लाख हैं। बिहार की जातीय गणना के हिसाब से इस इलाके की 26.50 लाख आबादी में लगभग 3.30 लाख भूमिहार, 3.09 लाख राजपूत, 2.91 लाख यादव, 2.67 लाख मुसलमान, 1.85 लाख कोइरी, 1.80 लाख चमार, 1.72 लाख ब्राह्मण, 90 हजार नोनिया, 70 हजार कुर्मी और 70 हजार दुसाध की जनसंख्या है। वोटर का अनुपात भी कमोबेश इसी तरह का है। 

एंटी इनकमबेंसी का लाभ : सच्चिदानंद राय का सारण के इलाकों में जोरदार प्रभाव माना जाता है. साथ ही उनका भूमिहार जाति से आना और एमएलसी अफाक अहमद का समर्थन भूमिहार और मुसलमान वोटरों के बीच मजबूत गठजोड़ बना सकता है. भाजपा के जनार्दन प्रसाद सिग्रीवाल के 10 साल से सांसद होने के कारण वहां उनके खिलाफ एंटी इनकमबेंसी का लाभ ही सच्चिदानंद राय को मिल सकता है. वहीं बिहार के सबसे अमीर एमएलसी होने के कारण सच्चिदानंद राय की एक विशेष सामाजिक समाजसेवी की पहचान है. सच्चिदानंद राय अब इन तमाम समीकरणों को लोकसभा चुनाव में भुनाने को तैयार हैं. 

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