MUZAFFARPUR: अफगानिस्तान अब लगभग पूरी तरीके से तालिबान के कब्जे में है। 15 अगस्त को विश्व को अशांत कर देने वाली दर्दनाक खबर आई थी, जिससे सभी सरकार तनाव में आ गई थीं। इसके बाद भारत और अमेरिकी सरकार ने विशेष रूप से मोर्चा संभाला औऱ विदेशी नागरिकों को वापस निकालना शुरू किया। इसी दौरान कई भारतीयों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया, जिनमें से एक हैं बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले सद्दाम। सुनिए उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी-
मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के सगहरी के रहने वाले सद्दाम अफगानिस्तान में नौकरी करते थे। 15 अगस्त को पहले तक वहां हालात सामान्य थे। 15 अगस्त ही वह दिन था जब अफगानिस्तान की राजधान काबुल पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया। इसके बाद स्थिति काफी तेजी से बदली। तालिबान के काबुल पर कब्जा होने के बाद परिवार के बीच घर वापसी चिंता का विषय बन चुकी थी। सद्दाम की वतन रवानगी का टिकट 19 अगस्त को था। हालांकि आखिरी फ्लाइट 15 अगस्त को ही उड़ी थी। इसके बाद भारत सरकार ने बहुत मदद की। वहीं दूसरी तरफ काबुल एयरपोर्ट को अमेरिकी सेना ने कब्जे में ले लिया था। बाहर तालिबानियों का राज था। अमेरिकी सेना सहित भारत सरकार ने बहुत मदद की। इसी बीच एक दिन कुछ अफगानी लोग मुझे और कई लोगों को बंधक बनाकर अपने ऑफिस ले गए। हमारे पासपोर्ट की जानकारी ली। भारत सरकार से बातचीत कर संपर्क साधा और हमारी वतन वापसी की बात की। हम सभी को उन्होनें 6 घंटे तक साथ रखा फिर वापस एयरपोर्ट छोड़ा। 22 अगस्त को विशेष विमान से सद्दाम वापस दिल्ली आए। क्वारंटीन के नियम पूरे करने के बाद 29 अगस्त को मुजफ्फरपुर में अपने घर पहुंचे।
उन्हें देखकर परिवार के लोग सहित गांव वालों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम और डॉक्टर सद्दाम की जांच के लिए आए। उनको पोलियो का टीका सहित खुराक दी गई। पोलियो इसलिए क्योंकि ऐसा गाइडलाइन में लिखा था। इसके अलावा कोरोना सहित अन्य जरूरी जांच की गई। कोरोना के टीके उनको लग चुके हैं। सद्दाम सहित पूरा परिवार भारत सरकार का बहुत शुक्रगुजार हैं कि इस विषम परिस्थितियों में भी उन्होनें अपना कर्त्तव्य पूरा किया और भारतीयों को बचा लिया।