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ऐसे डॉक्टरों को सलाम: झाड-फूंक के फेर में फंसी बच्ची की जान बचायी, अपने जेब से दवा खरीदी, पांच दिन आइसीयू में रहने के बाद ठीक हुई बच्ची

ऐसे डॉक्टरों को सलाम: झाड-फूंक के फेर में फंसी बच्ची की जान बचायी, अपने जेब से दवा खरीदी, पांच दिन आइसीयू में रहने के बाद ठीक हुई बच्ची

जमशेदपुर: पुरानी कहावत है, डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं। कोरोना जैसी महामारी में डॉक्टरों की सेवा भावना को कोई भी भूल नहीं सकता है। ऐसे ही सेवा भावना से जुडे डॉक्टरों की एक और खबर है, जिसमें डॉक्टरों ने न केवल नाजुक हालत की एक बच्ची की जान बचायी बल्कि अपने जेब से पैसे भी खरीदे।

जिले के पोटका में गत 18 जून को एक बच्ची को सांप ने काट लिया था। 19 जून को उस बच्ची के परिजन झाड-फूंक के चक्कर में पडकर उसे लेकर ओझा-गुनी के पास चले गये, जहां दिन भर बच्ची का इलाज किया गया लेकिन हालत सुधरने के बदले बिगड़ती चली गयी। बच्ची की सांसें थम गयी। जिसके बाद आनन-फानन में बच्ची के परिजन उसे लेकर परसुडीह सदर अस्पताल पहुंचे। जब वहां डॉक्टरों ने बच्ची की जांच की तो उसकी सांसें चल रही थी। डॉक्टरों ने तत्काल बच्ची को आईसीयू में भर्ती किया। तब तक बच्ची के ऑक्सीजन का लेवल घटकर 37 चली गयी थी। इसके बाद बच्ची को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज शुरू हुआ लेकिन, अस्पताल में जरूरी दवाइयां मौजूद नहीं थी। तब डॉ आलोक रंजन खुद दवा दुकान गए और अपने पैसे से दवा खरीदकर लाए। पांच दिन तक बच्ची आइसीयू में रहने के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है। उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

आठ डॉक्टरों की टीम का हुआ गठन

सिविल सर्जन डॉ. एके लाल को जब मरीज की हालत के बारे में पता चला तो उन्होंने इलाज के लिए डॉक्टरों की आठ सदस्यीय टीम का गठन किया। टीम ने 24 घंटे तक बच्ची की निगरानी की। इस टीम में डॉ. एबीके बाखला, डॉ. विवेक केडिया, डॉ. राजेश, डॉ. आरके पांडा, डॉ. आलोक रंजन महतो, डॉ. फैसल खान, डॉ. प्रभाकर भगत और नर्स रानी कुमारी शामिल थीं। बच्ची के ठीक होने के बाद परिजनों ने डॉक्टरों को धन्यवाद दिया और यह भी कहा कि कभी ओझा-गुणी के पास नहीं जायेंगे। इधर सिविल सर्जन डॉ. एके लाल ने बताया कि सदर अस्पताल में हाल ही में आइसीयू खुला है, जिसका लाभ बच्ची को मिला और उसकी जान बच सकी। सदर अस्पताल में यह अब तक का सबसे गंभीर केस है, जिसकी जान बची है। पहले ऐसे मरीजों को एमजीएम या टीएमएच रेफर कर दिया जाता था।

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