PATNA:आशावान थे लेकिन पता नहीं क्यों "सरकार" मेहरबान नहीं हो रहे थे।17 वीं लोकसभा में इनकी चाहत थी कि सांसद बनें लेकिन गठबंधन का खेल कुछ ऐसा हुआ कि इनका खेल बिगड़ गया।कभी अरूण जेटली के करीबी थे और बिहार में बीजेपी के रणनीतिकार थे।लेकिन समय बदला और दिल्ली बेस्ड नेता जी ने दल के साथ दिल भी बदल लिया।फिर सिपहसलार हो गए नीतीश कुमार के।
जी हां हम बात कर रहे हैं मिथिलांचल से आने वाले युवा नेता संजय झा की। देखते हीं देखते संजय झा ने दिल्ली से लेकर बिहार तक अपना कुछ ऐसा राजनीतिक आधार तैयार किया कि बड़े-बड़े राजनेता बस देखते हीं रह गए।
मिथिलांचल से ताल्लूक रखने वाले इस नेता का ज्यादा वास्ता दिल्ली से रहा है।चूंकि कहा जाता है कि दिल्ली हिंदुस्तान का दिल है और जिसने भी दिल्ली वाली राजनीति के बिसात पर चलना सीख लिया उसका चल निकलता है। ऐसा हीं कुछ हुआ है संजय झा के साथ। हालांकि सब कुछ चाहने के मुताबिक नहीं हुआ,लेकिन राजनीतिक तौर पर जितनी उपलब्धियां संजय झा ने इस उम्र में हासिल कर ली उतनी तो बड़े -बड़े लोग उम्र पार करने के बाद भी हासिल नहीं कर पाते।
दरभंगा से सांसद बनने की थी चाहत
बता दें कि 17 वीं लोकसभा चुनाव में संजय झा दरभंगा से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे।इसके लिए पहले से उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी।लेकिन बिहार में बीजेपी-जदयू गठबंधन के तहत दरभंगा सीट बीजेपी के खाते में चली गयी।फिर क्या था संजय झा का सपना धरा का धरा रह गया।
जैसा कि राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार के काफी करीबी बन चुके संजय झा को जब दरभंगा से बेदखल होना पड़ा तो संजय झा ने सार्वजनिक तौर अपना दर्द सोशल मीडिया के सहारे शेयर किया था।
हालंकि जानाकार बताते हैं कि नीतीश कुमार ने संजय झा को आगे सेट करने का मन बना लिया था।हुआ भी वही जैसे हीं चुनाव खत्म हुए कि नीतीश कुमार ने उन्हें विदानपरिषद के टिकट देकर उच्च सदन का सदस्य बना दिया।लगे हाथ सीएम नीतीश ने संजय झा को अपने कैबिनेट का सहयोगी बना लिया।