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भ्रष्टाचार मामले में दो मुख्यमंत्रियों को जेल की हवा खिलानेवाले सरयू राय अब सीएम नीतीश का देंगे साथ, जानिए कौन हैं सरयू राय...

भ्रष्टाचार मामले में दो मुख्यमंत्रियों को जेल की हवा खिलानेवाले सरयू राय अब सीएम नीतीश का देंगे साथ, जानिए कौन हैं सरयू राय...

PATNA : झारखण्ड के वरिष्ठ नेता सरयू राय आज अपने पुराने मित्र नीतीश कुमार के पास लौट आए हैं। झारखण्ड विधानसभा चुनाव से पहले सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं। सरयू राय एक ऐसा राजनेता जिन्होने राजनीति में रहते  हुए भ्रष्टाचार का खुलासा कर के दो दो मुख्यमंत्रियों को सलाखों के पीछे भेज दिया। सरयू ने राजनीति का ककहारा तो बिहार में पढ़ा। लेकिन अपने राजनीतिक ज्ञान का प्रयोगशाला झारखंड को बनाया। पिछले झारखंड बिधानसभा चुनाव में उन्होंने झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री को हराया।तो आइए जानते है आखिर कौन हैं सरयू राय़। 

बिहार के बक्सर जिले में जन्म लेनेवाले सरयू राय के माता-पिता अनपढ़ थे। लेकिन उन्होंने अपने बच्चों में पढ़ाई के ऐसे संस्कार डाले कि धाकड़ स्कूलों में भी वो उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। सरयू को हाई स्कूल में ही नेशनल स्कॉलरशिप मिल गई।  उन्होंने प्रख्यात पटना साइंस कॉलेज से फीजिक्स से एमएससी किया। विचार से समाजवादी सरयू शुरू से ही बीजेपी के होकर रह गए। पढाई के दौरान ही उन्हें सियासत का चस्का लग गया और 1974 में जेपी मूवमेंट में जमकर हिस्सा लिया।  उन्होंने विद्यार्थी परिषद का भी साथ लिया और उसके मंच से समस्याएँ उठाते   रहे। 

बाद में उन्होंने बिहार खेतिहर मंच नामक संगठन बनाकर किसानों के लिए काम शुरू किया। सोन नदी के जल बंटवारे के लिए उन्होंने काफी काम किया। उनकी इस पहल से उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली। सरयू राय ने पत्रकारिता भी की, बल्कि यूं कहिये कि पत्रकारिता को ही जरिया बनाकर वे राजनीति में आये। शुरूआत उन्होंने कृषि बिहार नामक पत्रिका निकाल कर की। बाद में राष्ट्रीय अखबारों में स्वतंत्र लेखन भी किया। इसी दौरान प्रख्यात पत्रकार दीनानाथ मिश्र से उनकी मुलाकात हुई।  मिश्र ने उनकी मुलाकात लाल कृष्ण आडवाणी से कराई। उसके बाद सरयू राय ने 1992 में ही बीजेपी ज्वाइन कर लिया। इन दिनों में उनकी राष्ट्रीय सेवक संघ और भारतीय जनता  पार्टी में अच्छी पैठ बन गयी। 

सरयू राय भ्रष्ट नेताओं के लिए खौफ हैं। 1980 में किसानों को आपूर्ति होने वाली घटिया खाद, बीज के खिलाफ सहकारी संस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाई। किसानों के मुआवजे के लिए उन्होंने आंदोलन किया और सफलता भी पाई। इसके अलावा संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाला और झारखंड में खनन घोटाला को उजागर करने का श्रेय उन्हें जाता है। 1994 में वे भ्रष्टाचार के चलते ही अपने साथी लालू यादव के खिलाफ भी हो लिये और पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ ही नहीं किया बल्कि दोषियों को जेल भेजवाने के लिए हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक सघर्ष भी किया। इस तरह चारा घोटाले में दो मुख्यमंत्रियों लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र को जेल जाना पड़ा। खनन घोटाले में भी सरयू राय ने मधु कोड़ा के खिलाफ कई दस्तावेज सीएजी को उपलब्ध करवाए जो बाद में सबूत बने और कोड़ा को कुर्सी छोड़नी पड़ी। हाल के वर्षों में सरयू राय तब चर्चा में आए। जब झारखंड में रघुवरदास के मंत्रीमंडल में रहते हुए वे विरोधस्वरूप उनके मंत्रीमंडल बैठकों में शामिल नहीं होते। रघुवर दास की जिद पर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया। उसके बाद नाराज सरयू राय ने रघुवर के खिलाफ ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। बाद में जो हुआ वो सब जानते हैं, न रघुवर की सीट बची और न ही झारखंड में बीजेपी की सरकार बची। 

सरयू राय एक ऐसा नेता जिसने मंत्रिमंडल में रहते हुए अपने मुख्यमंत्री की बैठक को कभी अटेंड न किया हो। जब पार्टी ने टिकट काट दिया तो सीधे अपने सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ गया और उन्हें चुनाव में हरा दिया हो। तय है कि ये शख्स कोई मामूली नहीं होगा। कभी लालू-नीतीश और सुशील मोदी के दोस्त रहे सरयू राय भी जेपी आंदोलन की उपज रहे हैं। इमरजेंसी में इन लोगों ने साथ ही जेल यात्रा भी की है। बिहार के बंटवारे के बाद सरयू राय ने झारखंड को ही अपना कर्मभूमि बनाया।  

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