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"धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी...", सांसदों को दी गई संविधान की प्रति से ये शब्द गायब - अधीर रंजन चौधरी

"धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी...", सांसदों को दी गई संविधान की प्रति से ये शब्द गायब - अधीर रंजन चौधरी

संविधान की प्रस्तावना से सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द गायब होने के बाद खलबली मच गयी है.कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने नई संसद में मिली संविधान की कॉपी पर सवाल उठाए हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि संविधान की जो कॉपी हमें मिली उसमें सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं हैं. अंग्रेजी में लिखी संविधान की प्रस्तावना में सेक्युलर-सोशलिस्ट शब्द नहीं हैं, लेकिन हिंदी में लिखी प्रस्तावना में समाजवादी-पंथनिरपेक्ष शब्द है.संसद के नए भवन की कार्यवाही के दौरान संविधान की दी गई कॉपी में संविधान की प्रस्तावना में सेक्युलर-सोशलिस्ट शब्द गायब रहने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था. 

अब यह तथ्य सामने आया है कि संविधान के अंग्रेजी में लिखी प्रस्तावना में सेक्युलर-सोशलिस्ट शब्द नहीं हैं, लेकिन हिंदी में लिखी प्रस्तावना में समाजवपादी-पंथनिरपेक्ष शब्द अपनी जगह पर हैं.बता दें कि अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था कि भारतीय संविधान की प्रति से सेक्युलर-सोशलिस्ट शब्द गायब हैं और इसे लेकर उन्हें चिंता है. उन्होंने इसे उठाने की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया.हम जानते हैं कि ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह चिंता का विषय है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इसे राहुल गांधी को भी दिखाया. यह हमारे संविधान को बदलने की जानबूझकर की गई कोशिश को दर्शाता है और यह चिंता में डालने वाला है.

उन्होंने कहा कि जब कल वह संविधान (संविधान की नई प्रतियां) पढ़ रहे थे, उन्हें धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी दो शब्द नहीं मिले थे. उन्होंने कहा कि तब उन्होंने खुद अपने आप से जोड़ दिया था. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि  केंद्र की  मंशा संदिग्ध है. यह बड़ी चतुराई से किया गया है. यह मेरे लिए चिंता का विषय है. मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन मुझे इस मुद्दे मौका ही नहीं मिला. इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि किसी को भी 'इंडिया' और 'भारत' के बीच अनावश्यक दरार पैदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. भारत के संविधान के अनुसार दोनों में कोई अंतर नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि यह संविधान हमारे लिए गीता, कुरान और बाइबिल से कम नहीं है. अनुच्छेद 1 कहता है कि "इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा..." , इसका मतलब है कि इंडिया और भारत में कोई अंतर नहीं है. बेहतर होगा कि कोई भी बेवजह दोनों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश न करे. 


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