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न्यायापालिका में जजों की नियुक्ति में वंशवाद पर बोले वरिष्ठ अधिवक्ता - बड़े पद पर पिता का होना संतान की योग्यता नहीं बता सकता

न्यायापालिका में जजों की नियुक्ति में वंशवाद पर बोले वरिष्ठ अधिवक्ता - बड़े पद पर पिता का होना संतान की योग्यता नहीं बता सकता

PATNA : वंशवाद की परंपरा सभी पेशा में देखने को मिलती है। लेकिन उच्च न्यायपालिका के सम्बन्ध में ये कहा जा रहा है कि वहां भी ऐसा हो रहा है। पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने इस मामलें पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा कि हर पेशे में वंशवाद की परंपरा रही है। 

राजनीतिज्ञ,डॉक्टर,वकील व अन्य पेशे में भी बच्चे उसी पेशे को अपनाते हैं,जिस पेशे में उनके पिता या परिवार के होते है।अगर योग्यता के आधार पर जज का पुत्र जज बनता है,तो ये कोई गलत बात नहीं है। लेकिन उन्होने कहा कि किसी भी पेशा में सबसे बड़ा मापदंड योग्यता होनी चाहिये,न कि उसके पिता या परिवार के लोग किस पेशे में है।

उन्होने बताया कि अगर किसी व्यक्ति में योग्यता है,तो भारतीय संविधान उसे कोई भी पेशा अपनाने की स्वतन्त्रता देता है। अगर जज,डॉक्टर,वकील,पत्रकार या किसी अन्य पेशे में कोई कार्य कर रहा है,तो वह अपनी योग्यता से ही सफल हो सकता हैं। योगेश चंद्र वर्मा ने स्पष्ट कहा कि अगर आप किसी बड़े बाप की संतान हैं तो इस आधार पर बड़े पद पर नियुक्ति की जा रही है, तो यह बिल्कुल गलत है।

योगेश चंद्र वर्मा का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है। जब उच्च न्यायापालिक में जजो की नियुक्ति में कॉलेजियम सिस्टम पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। साथ ही लगातार यह मांग जोर पकड़ रही है कि जजों की नियुक्ति में योग्यता को आधार बनाना चाहिए।


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