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दाग धोने की कोशिश में नीतीश सरकार, कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में सिविल सर्जन समेत कई अधिकारी सस्पेंड...

दाग धोने की कोशिश में नीतीश सरकार, कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में सिविल सर्जन समेत कई अधिकारी सस्पेंड...

PATNA: बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद हडकंप मच गया है। आनन-फानन में सरकार ने कार्रवाई भी की है और एक साथ कई अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। शुक्रवार को यह मामला राज्यसभा में भी उठा. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस मामले को सदन में उठाते हुए जांच की मांग की है. मनोज झा ने केंद्र सरकार से पूरे मामले की जांच की मांग की। राजद सांसद की मांग को जायज करार देते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर बताया और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया।  

स्वास्थ्य विभाग ने जमुई सिविल सर्जन डॉ. विजयेंद्र सत्यार्थी  और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और प्रतिरक्षण पदाधिकारी को सस्पेंड कर दिया है। बरहट और सिकंदरा पीएचसी के प्रभारी को भी निलंबित किया गया है. वहीं 4 अस्पताल प्रबंधकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

बता दें, मीडिया में यह खबर आई कि बिहार में कोरोना जांच की संख्या बढ़ाने को लेकर फर्जीवाड़ा किया गया है।जमुई में यह खुलासा हुआ कि कोरोना जांच में सिर्फ 10 अँकों के 0 नंबर का प्रयोग किया गया है।   इसके बाद तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री पर निशाना । उन्होंने कोरोना जांच की संख्या को फर्जीवाड़ा कर बढ़ाने का आरोप लगाया था.तेजस्वी ने गुरुवार कहा था कि मैंने पहले ही बिहार में कोरोना घोटाले की भविष्यवाणी की थी. जब हमने घोटाले का डेटा सार्वजनिक किया था, तो सीएम ने हमेशा की तरह उसे नकार दिया था. 


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