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नेपाल से अयोध्या जाने के दौरान मधुबनी पहुँची शालिग्राम शिलाएं, एक झलक पाने और स्पर्श के लिए उमड़ी लोगों की भीड़

नेपाल से अयोध्या जाने के दौरान मधुबनी पहुँची शालिग्राम शिलाएं, एक झलक पाने और स्पर्श के लिए उमड़ी लोगों की भीड़

MADHUBANI :अयोध्या में होने वाले भगवान श्री राम एवं  मां जानकी की मूर्ति निर्माण हेतु पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के काली गंडकी नदी से दो शालिग्राम शिलाएं भारत के जटही होते हुए  पिपरौन व फुलहर बोर्डर होते हुए आई है। श्रीराम एवं माता सीता के मूर्ति निर्माण के लिए केरवा से प्रखंड की सीमा में प्रवेश करते ही सड़क के दोनों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब शिलाओं की एक झलक पाने व स्पर्श करने को बेताब दिखा। 

इस दौरान साहरघाट पहुंचने पर रामशिला यात्रा का भव्य रूप से स्वागत किया गया। जहां पुष्प वर्षा, पटाखों की गूंज के संग जय श्री राम के नारों से संपूर्ण क्षेत्र गुंजायमान रहा। महिलाओं ने अपने आंचल पसार कर भगवान श्रीराम व माता सीता से अपने परिवार व बच्चों के लिए वरदान मांगते नजर आईं। वहीं जगह जगह इनके स्वागत को विश्व हिंदू परिषद भारत, नेपाल, के हजारो लोग दिखे। शिलाएं करीब 6 करोड़ वर्ष पुरानी बताई जा रही हैं। इनमें से एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है। इन दोनों शिलाओं के 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पूजन के पश्चात 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया है। 

28 जनवरी को नेपाल के पोखरा क्षेत्र से ये शिलाएं हेटौड़ा, पथलैया, निजगढ़, लालबंदी, बर्दिबास होते हुए ढल्केबर पहुंची। जहां से जनकपुर स्थित  प्रसिद्ध जानकी मंदिर के लिए निकलीं। वहां पहुंचने पर 29 जनवरी की सुबह महाआरती और विजय महामंत्र के जाप के साथ परिक्रमा कर रात्रि विश्राम के बाद 30 जनवरी को वहां से भारत के अयोध्या के लिए रवाना किया गया है।  भारत के मधुबनी जिले के जटही, पिपरौन, फुलहर, साहरघाट, बैंगरा, बसैठ होते हुए दरभंगा जिले के जगवन, कमतौल, रघौली, सदलहपुर, टेक्टाइर, मोहमदपुर, कर्जा, वरियॉल, माधोपट्टी, सिसो, मव्वी होते हुए आगे निकलगी। यहां से मुजफ्फरपुर के कांटी में रात्रि विश्राम के बाद 31 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए निकल जाएंगी। वहां 2 फरवरी को ये शिलाएं अयोध्या पहुंचेंगी।

श्याम वर्ण की ये दो विशाल शिलाएं विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या लाई जा रही है। विभिन्न स्वरूपों में मिलने वाले श्याम वर्ण के श्रीशालिग्राम भगवान केवल नेपाल के काली गंडकी नदी या कृष्णा गंडकी नदी में ही मिलते हैं। जिसे नारायणी के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में जैसे पवित्र शिवलिंग को भगवान शिव की प्रतिमूर्ति तो वैसे ही पवित्र शालिग्राम को भगवान विष्णु की प्रतिमूर्ति माना जाता है। इस कारण से इन शिलाओं का महत्व और बढ़ जाता है। लोगों में काफी उत्साह देखने को मिली जगह-जगह श्रीराम के नारे गुंजायमान होते रहे।  भाजपा विधायक हरी भूषण ठाकुर बचोल ने  बताया कि हजारों लाखों कुर्बानी के बाद करीब 500 वर्ष के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम की मंदिर निर्माण हेतु नेपाल से मां जानकी और श्री राम के मूर्ति निर्माण हेतु शिलाएं जा रही है।  यह अति महत्वपूर्ण बात है। इनसे अगले साल मूर्ति निर्माण किया जाएगा।

मधुबनी से राजकुमार झा की रिपोर्ट 

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