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सुशासन ने खोज लिया 'बकरा': CM नीतीश के नालंदा में जहरीली शराब से 11 मौत मामले में 'थानेदार' सस्पेंड, बड़े अफसरों पर एक्शन कब?

सुशासन ने खोज लिया 'बकरा': CM नीतीश के नालंदा में जहरीली शराब से 11 मौत मामले में 'थानेदार' सस्पेंड, बड़े अफसरों पर एक्शन कब?

PATNA: सुशासन की सरकार ने जहरीली शराब से 11 लोगों की मौत मामले में बलि का बकरा खोज लिया है. इस मामले में थानेदार को दोषी करार देते हुए सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन सवाल यही है कि जहरीली शराब मामले में सिर्फ थानेदार ही क्यों बड़े अफसर क्यों नहीं ? यही सवाल बिहार की सत्ता में बड़ी पार्टी बीजेपी भी उठा रही है। बीजेपी अध्यक्ष ने साफ कहा है कि जहरीली शराब मामले में नालंदा के बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए। 

आईजी ने थानेदार को किया सस्पेंड

बता दें, नालंदा में संदिग्ध परिस्थिति में मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। परिजन शराब पीने से मौत की बात कह रहे हैं। घटना जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी और पहाड़ तल्ली मोहल्ला की है। पटना IG ने सोहसराय थाना अध्यक्ष सुरेश प्रसाद को सस्पेंड कर दिया है। लोगों का कहना है कि जहरीली शराब पीने से मौत का सिलसिला अब तक जारी है। आज भी तीन लोगों की मौत हुई है। मृतक की पहचान छोटी पहाड़ी मोहल्ला निवासी प्रह्लाद कुमार (40) सिंटू कुमार (35) एवं बालेश्वर मिस्त्री का पुत्र (35) शंकर मिस्त्री के रूप में हुई।

प्रहलाद की मां मुंद्रिका देवी ने बताया कि बेटा शराब पीकर घर आया था। जब अपने बेटे को नशे में धुत होकर टगते देखा तो मैंने पूछा था। उन्होंने मोहल्ले की ही एक महिला पर शराब बेचने का आरोप लगाते हुए उस पर DM-SP से सख्त कार्रवाई करने की मांग की। मुंद्रिका ने कहा कि शराब ने हम लोगों की जिंदगी तबाह कर दी।रिजनों का कहना है कि जहरीली शराब पीने से ही मौत हुई है। इस इलाके में चुल्हाई शराब बनता है। अगर प्रशासन चाहे तो शराब क्या उसकी एक बूंद पानी मिलना तक मुमकिन नहीं होगा। 

नालंदा के उस बड़े अफसर को करें गिरफ्तार

बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि नालंदा जिले में जहरीली शराब से 11 मौतें हो चुकी हैं। परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था। आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 11 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा. क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां संतवाना देता तो आपके लिए अपराध है। अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए . क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबोगरीब बीमारी से मरने का कारण बताना। यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है।

पुलिस-प्रशासन सबसे बड़ा अपराधी,गिरफ्तार कर भेजें जेल

बीजेपी अध्यक्ष इतने भर से नहीं रूके उन्होंने कहा कि दूसरे अपराधी वहां के पुलिस वाले हैं, जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्री होने दी। 10 वर्ष का कारावास इन पुलिस कर्मियों को होना चाहिए, ना कि इन्हें 2 महीने के लिए सस्पेंड करके नया थाना देना जहां वह यह सब काम चालू रख सकें। तीसरा सबसे बड़ा अपराधी शराब माफिया है, जो शराब की बिक्री विभिन्न स्थानों पर करवाता है। इस को पकड़ना भी बहुत आसान है। इन्हीं पुलिस कर्मियों से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की जाए तो उस माफिया का नाम भी सामने आ जाएगा। शराब बेचने वाले और पीने वाले दोनों को सजा अवश्य होनी चाहिए पर यह उस हाइड्रा की बाहें हैं, जिन्हें आप रोज काटेंगे तो रोज उग जाएंगे। जड़ से खत्म करना है तो प्रशासन, पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा।" बीजेपी ने जिस तरह से शराबबंदी को लेकर अपनी सरकार को घेरा है उससे सहयोगी दल जेडीयू बैकफुट पर है। जेडीयू के नेता शराबबंदी पर नहीं बल्कि सम्राट अशोक को औरंगजेब से तुलना प्करण को तुल रहे हैं। 

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