NEWS4NATION DESK :हिंदू धर्म में श्रावण पूर्णिमा विशेष महत्व है। इसी दिन रक्षाबंधन का त्होहार मनाने की परंपरा है। सावन महीने की पूर्णिमा का दिन शुभ व पवित्र माना जाता है। इस बार श्रावण पूर्णिमा दो दिन आज और कल (14-15 अगस्त) को पड़ रही है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए तप और दान का महत्व बाकी दिनों, महीनों से ज्यादा माना जाता है। सावन पूर्णिमा की तिथि धार्मिक दृष्टि के साथ ही साथ व्यावहारिक रूप से भी बहुत ही महत्व रखती है। इस माह को भगवान शिव की पूजा उपासना का महीना माना जाता है। सावन में हर दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। पूर्णिमा तिथि इस मास का अंतिम दिन माना जाता है। अत: इस दिन शिव पूजा व जल अभिषेक से पूरे माह की शिव भक्ति का पुण्य प्राप्त होता है.
श्रावण पूर्णिमा का व्रत व पूजा विधि
चूंकि इस दिन रक्षासूत्र बांधने या बंधवाने की परंपरा है इसलिये लाल या पीले रेशमी वस्त्र में सरसों, अक्षत, रखकर उसे लाल धागे में बांधकर पानी से सींचकर तांबे के बर्तन में रखें। इस दिन वेदों का अध्ययन करने की परंपरा भी है। पूर्णिमा को देव, ऋषि, पितर आदि के लिये तर्पण भी करना चाहिये।
रक्षाबंधन का त्योहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबंधन, राखी या रक्षासूत्र का रूप है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। उनकी आरती उतारती हैं तथा इसके बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। उपहार स्वरूप उसे भेंट भी देता है।