हुजूर...ये कैसी शराबबंदी ? उत्पाद 'अधीक्षक' ही करा रहे करोड़ों की शराब सप्लाई...UP से बिहार में करा रहे इंट्री ! नीतीश कुमार की JDU के नेता ने ही सबूत के साथ खोली पोल, एक्शन नहीं होने पर खड़े किए सवाल

PATNA: बिहार में शराबबंदी लागू है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह ड्रीम अभियान है. लेकिन यह सब सिर्फ कहने को है. शराबबंदी वाले राज्य में शराब को बंद कहना,हास्यास्पद है. शराबबंदी में शराब माफिया और सरकारी सेवक मालामाल हो गए. अधिकारियों की मिलीभगत से माफिया शराब की जबरदस्त रूप से सप्लाई कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला 21 जून 2024 को बक्सर में सामने आया था, जब उत्पाद विभाग के अधिकारियों-कर्मियों की मिलीभगत से करोड़ों की शराब यूपी से बिहार में इंट्री कराई गई थी. गंगा पुल पार करने के बाद जब शराब की बड़ी खेप बक्सर के औद्योगिक थाना क्षेत्र में पहुंची तो पुलिस ने पकड़ लिया. इसके बाद तो पूरे खेल का खुलासा हो गया. इसमें शराब माफियाओं के अलावे गंगा नदी पर उत्पाद विभाग द्वारा तैनात किए गए दो होमगार्ड के जवान भी गिरफ्तार किए गए थे. अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. बक्सर के उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक पर गंभीर आरोप लगे हैं. पकड़े गए एक शख्स ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया है कि उत्पाद अधीक्षक से मेल कर यूपी से शराब की खेप पटना ले जाते थे. बदले में मोटी रकम दी जाती थी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने इस बड़े खेल का खुलासा किया है.
शराब के कारोबार में अधीक्षक उत्पाद हैं शामिल.....
बक्सर पुलिस ने 21 जून को यूपी से बिहार लाई जा रही शराब की बड़ी खेप पकड़ी थी. इस मामले में औद्योगिक थाना में केस सं.- 132/24 दर्ज की गई थी. कुल 13 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. तेरहवें नंबर पर पाठक जी का नाम मोबाइल नंबर के साथ दर्ज है. साथ ही पकड़े गए एक शख्स हरेन्द्र सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने केस के आईओ रमन राउत के समक्ष बयान दिया. जिसमें बक्सर के उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक को यूपी से शराब की खेप बिहार लाने में सहयोग करने का किंग पिन करार दिया है. बदले में अधीक्षक को मोटी रकम देने की बात बताई। पुलिस के समक्ष दिए बयान में आरोपी मुन्ना सिंह कहा है कि ''बक्सर के मद्य निषेध के अफसर जिनका मोबाइल नंबर 947340 0624 है. इन्हीं के माध्यम से गंगा सेतू पुल पर कार्यरत सिपाही के साथ मिलकर शराब को उत्तर प्रदेश से पटना-आरा की तरफ भिजवाते हैं. इस काम के बदले में दोनों सिपाही एवं मद्य निषेध के अधीक्षक दिलीप पाठक को रुपया देते हैं. मद्य निषेध अधीक्षक के मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से बताया जाता है. तब सिपाही बिना जांच किए ही गाड़ी को बक्सर पुल पार करवा देते हैं, 23.6.2024 को हमको गिरफ्तार कर थाना लिया गया. मैं अपना बयान पढ़-पढ़वा कर, सोच एवं समझकर ,सही तरीके से दे रहा हूं'' .
नीतीश कुमार के दल के नेता ने अधीक्षक की खोली पोल
बक्सर जिला जेडीयू के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने इस पूरे खेल का खुलासा किया है. उन्होंने बजाप्ता इसकी जानकारी मद्य निषेध के सचिव से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजी है. हालांकि अब तक अधीक्षक के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई है. जिससे नीतीश कुमार की पार्टी के जिलाध्यक्ष काफी व्यथित भी हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पास FIR की कॉपी है. आईओ द्वारा जो सुपरविजन किया गया है, कोर्ट से डायरी का नकल भी निकाले हैं. जिसमें दारू वाले विभाग के अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक का नाम-पता मोबाइल नंबर के साथ दर्ज है. ऐसे में तय हो गया है कि दिलीप कुमार पाठक भी आरोपी हैं. अगर आरोपी हैं तो अब तक क्यों नहीं गिरफ्तारी हुई, या दुर्भाग्यपूर्ण है. बक्सर के एसपी पर हमें भरोसा है. हमको जहां तक मालूम है डायरी में अगर नाम दर्ज है तो एसपी साहब से हम आग्रह करेंगे कि उत्पाद अधीक्षक को तत्काल गिरफ्तार कर लेना चाहिए. ताकि जनता में एक अच्छी छवि पेश हो . उन्होंने कहा कि दारू वाले विभाग के जिला का अधीक्षक छोटा आदमी नहीं है. हम चाहेंगे कि तत्काल कार्रवाई हो, लेकिन विलंब हो रहा है. जेडीयू के जिलाध्यक्ष ने एक और खुलासा किया. उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक के बक्सर प्रेम का खुलासा कर मद्य निषेध विभाग की पोल खोली. जेडीयू जिलाध्यक्ष ने बताया कि बक्सर में मद्य निषेध के अधीक्षक हैं दिलीप कुमार पाठक. पहले यहीं पर दरोगा थे. फिर इंस्पेक्टर बने और अब अधीक्षक. वे 2010 में यहां अवर निरीक्षक के पद पर पदस्थापित थे. 2021 में वह यही इंस्पेक्टर बन गए और यही 5 महीने के बाद फिर दारू के अधीक्षक बन गए. यह हैरान करने वाली बात है. सिस्टम में छेद का यह नायाब नमूना है.
उत्पाद अधीक्षक ने सफाई में क्या कहा.....
बक्सर के उत्पाद अधीक्षक पर शराब का धंधा कराने का गंभीर आरोप है. सत्ताधारी दल के नेता ने ही गंभीर खुलासे किए हैं. हमने उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक से बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है. जहां तक औद्योगिक थाना में केस सं.- 132/24 में तेरहवें नंबर पर पाठक का नाम दर्ज है, वो दूसरा है. मैं नहीं हूं न ही मेरा मोबाइल नंबर है. पुलिस की तरफ से भी कोई नोटिस नहीं मिली है. एक आरोपी द्वारा पुलिस के समक्ष फर्द बयान में उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक का नाम लेने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.