बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

सीतामढ़ी तक पहुंची कोरोना घोटाले की आग, आंच में झुलस सकते हैं कई बड़े नाम

सीतामढ़ी तक पहुंची कोरोना घोटाले की आग, आंच में झुलस सकते हैं कई बड़े नाम

सीतामढ़ी। कोरोना घोटाले का आंच सीतामढ़ी में भी पहुंच गई है। यहां भी बड़े पैमाने पर रैपीड एंटीजन टेस्ट के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। पड़ताल में सिर्फ तीन प्रखंडो के स्वास्थ्य केंद्र में 30 हजार लोगों के मोबाइल नम्बर फर्जी मिले, जिनके मोबाइल नम्बर की जगह 0000000000 और 1111111111 लिखा हुआ है। इस कोरोना जांच किट घोटाला सामने आने से जिले में हड़कंप मच गया है, सीतामढ़ी के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच के नाम पर बड़े पैमाने पर घोटाला किया है। सीतामढ़ी के सिर्फ 3 प्रखंडों रुनीसैदपुर, डुमरा, रीगा स्वास्थ्य केंद्रों से जो दस्तावेज हाथ लगे हैं  उसमें 30000 लोगों के नाम के फर्जी मोबाइल नम्बर मिले  0000000000 व 1111111111 अंकित है।

 जिले में कुल 3 लाख 63 हजार कोरोना जांच हुए और सिर्फ तीन प्रखंडों के उठावे गए आंकड़े के अनुसार तकरीबन 30 हजार का लोगो के गलत आंकड़े दिए गए है। जिसके मुताबिक 2 करोड़ो 80 लाख के किट की हेराफेरी हुई है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के आंकड़े लेने पर 1 लाख से भी अधिक फर्जी कोरोना जांच के आंकड़े आने का अनुमान है। कोरोना एंटीजेन किट की कीमत शुरुआती समय मे 3500 के आसपास थी लेकिन बाद में किट की कीमत बाजार में  900 रूपए हो गयी। पूरे जिले में अगर 1 लाख फर्जी कोरोना जाँच हुआ तो एक किट की कीमत ₹900 से 9 करोड़ 33 लाख होती है। कुल मिलाकर जिले में जितने प्राथमिक व अति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है तब में कोरोना जांच में घोटाला बड़े पैमाने पर किया गया है।

 जांच कहीं और रिपोर्ट दूसरी जगह


 डुमरा निवासी आनंद विहारी सिंह जिनका नाम कोरोना जांच कराने वालों की सूची में रुन्नीसैदपुर प्रखण्ड के मोरसंड़ गांव में अंकित है, उन्होंने खुद सामने आकर बताया कि वह अपने जीवन में कभी मोरसंड गए ही नहीं और उन्होंने अपना कोरोना जांच दो बार करवाया है। पहली बार उन्होंने रीगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में और दूसरी बार डुमरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकिन उनका नाम रुन्नीसैदपुर के मोरसंड में भी उनके मोबाइल नंबर के साथ अंकित है। यानी उन्होंने सिर्फ दो बार कोरोना जांच करवाया लेकिन सरकारी आंकड़ों में तीन बार उनका नाम कोरोना जांच कराने वालों की सूची में अंकित है, ऐसे हजारों लोगों के नाम फर्जी तरीके से कोरोना जांच कराने वालों की सूची में दो बार तीन बार अंकित है। 

जवाब देने से बचे पीएचसी प्रभारी

रुन्नीसैदपुर प्रखंड में रैपिड एंटीजन किट घोटाला के बारे में जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी अमृत किशोर से पूछा गया तो उन्होंने इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया,  उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नंबर उपलब्ध नहीं कराए इसकी वजह से ऐसा हुआ है। हालांकि अगर दर्ज किए गए अन्य मोबाइल नंबरों से जाँच करवाने वाले लोगो का वैरिफिकेशन किया जाये तो फर्जीवारा कर किये गए इस घोटाले का आंकड़ा 2 से 3 लाख के करीब पहुँच जाएगा। 

राजद के पूर्व सांसद ने उठाए सवाल

इधर पूर्व सांसद सह राजद के वरीय नेता अर्जुन राय ने इस बड़े फर्जीवाड़े को लेकर जिले के सभी अधिकारियों को घेरे में लिया है।  प्रेस वार्ता के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना जांच के फर्जी आंकड़े को सार्वजनिक करते हुए पूर्व सांसद ने बताया कि जिले में कोरोना जांच घोटाला बड़े पैमाने पर हुआ और स्वास्थ्य विभाग के महकमे के सिविल सर्जन राकेश चंद्र सहाय वर्मा अपने घोटाले पर अपनी पीठ थपथपाते रहे, बगैर जांच के ही कोरोना जांच के नाम पर बड़े-बड़े आंकड़े जिले में उपलब्धि के तौर पर दिखाए गए और जिला जिले के अधिकारी इसकी आड़ में घोटाले करते रहे।

Suggested News