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सिवान लोकसभा : दो बाहुबलियों की बीबी में जंग से त्रिकोणीय हुआ मुकाबला, शहाबुद्दीन की खोई जमीन बचाने भगवा साफा लेकर उतरी हिना शहाब

सिवान लोकसभा : दो बाहुबलियों की बीबी में जंग से त्रिकोणीय हुआ मुकाबला, शहाबुद्दीन की खोई जमीन बचाने भगवा साफा लेकर उतरी हिना शहाब

सिवान. चार बार सिवान के सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन के नाम पर अपनी सियासी पारी आगे बढ़ाने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उतरी उनकी पत्नी हिना शहाब ने बड़े बड़े दिग्गजों के होश उड़ा दिए हैं. सिवान में 25 मई को वोट डाले जाएंगे. उसके पहले ही सिवान का रंग कुछ अलग दिखने लगा है. सिवान के साहब कहे जाने वाले शहाबुद्दीन के निधन के बाद यह पहला मौका है जब उनकी पत्नी चुनाव लड़ रही हैं. हिना के मुकाबले इंडिया ब्लॉक की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा है. एनडीए की ओर से जेडीयू ने विजयलक्ष्मी को मैदान में उतारकर मुकाबले को टक्कर का बना दिया है. विजय लक्ष्मी के पति भी बाहुबली रहे हैं. 

ऐसे में दो बाहुबलियों की पत्नी जहां आमने सामने हैं वहीं अवध बिहारी चौधरी सिवान में राजद की खोई जमीन मजबूत करने मैदान में हैं. इन सबके बीच हिना शहाब लगातार भगवा रंग का साफा लपेटे चुनाव प्रचार में दमखम दिखाती रही. अपने पति को याद कर सबसे समर्थन की अपील करती दिखी है. भले ही हिना शहाब मुस्लिम हो लेकिन वह यह दर्शाने की कोशिश भी करती रही हैं कि हिन्दुओं से उन्हें गहरा लगाव है. यह बार बार उनके पूजा-पाठ करने और भगवा साफा लटकने से सियासी चाल के रूप में समझा जा सकता है. इतना ही नहीं बाहुबली शहाबुद्दीन को भी कभी सभी वर्गों का समर्थन मिलता था जिसमें बड़े स्तर पर सवर्ण शामिल रहते हैं. अब हिना भी उसी खोई जमीन को मजबूत करने में लगी है. उनका लाव लश्कर भगवा रंग और पीले गमछे में नजर आता है. इसके पूर्व हिना शहाब ने मां काली स्थान पर माता की चुनरी भी ओढ़ी थी.

वहीं हत्या के आरोपों को झेल रहे रमेश कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी को जदयू ने उम्मीदवार बनाया है. लेकिन स्थिति है विजय लक्ष्मी एमपी (मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट) का फुल फार्म भी नहीं पता. इतना ही नहीं उनके पति की छवि को लेकर भी इलाके में यह चर्चा आम है कि अगर शहाबुद्दीन बाहुबली था तो रमेश क्या हैं? हिना के पीछे भगवा रंग और पीले गमछे में नजर आने वाले कहीं वही लोग तो नहीं हैं जो विजय लक्ष्मी को उम्मीदवार बनाये जाने से नाखुश दीखते हैं यह सवाल भी आम चर्चा में है. इन सबके बीच राजद के अवध बिहारी चौधरी लगातार लालू –तेजस्वी के नाम पर वोट की अपील कर रहे हैं. साथ ही अलग अलग जातियों को साधने की कोशिश में हैं. ऐसे में सिवान के मुकाबले में त्रिकोणीय जंग के मैदान तैयार हैं. 

महा गठबंधन के सर्वाधिक विधायक : सीवान लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इसमें पांच पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि एक सीट पर एनडीए का। सीवान, रघुनाथपुर और बड़हरिया पर राजद, जीरादेई व दरौली पर माले और दरौंदा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को जीत मिली थी . दरौंदा विधानसभा है जहां भाजपा के करण जीत सिंह विधायक हैं। सिवान से राजद के अवध बिहारी चौधरी, रघुनाथपुर से हरिशंकर यादव, बड़हरिया से राजद के बच्चा पांडेय विधायक हैं। वही जीरादेई से सीपीआईएमएल के अमरजीत कुशवाहा और दरौली से सीपीआईएमएल के सत्यदेव राम विधायक हैं ।

सवर्ण सबसे महत्वपूर्ण : जातीय गोलबंदी के नये गणित ने इस बार सभी प्रत्याशियों को उलझा दिया है.  सिवान लोकसभा में करीब 18 लाख मतदाता हैं। इसमें 9,85,125 पुरुष और 7,90,829 महिला मतदाता हैं। जातियों के आधार पर संख्या देखें तो यहां मुस्लिम की आबादी सर्वाधिक है। मुस्लिम वोटर की संख्या करीब 3 लाख है। दूसरे नंबर पर यादव हैं। यादव का कुल मतदाता करीब 2.5 लाख हैं। सवर्ण मतदाता भी करीब चार लाख के करीब हैं। कुशवाहा 1.25 लाख, सहनी 80 हजार और ईबीसी 2.5 लाख है। ऐसे में हिना जहां मुस्लिम के साथ ही सवर्ण वोटरों को साधने की कोशिश में लगी हैं वहीं शेष दोनों उम्मीदवार अपने अपने स्तर पर अलग लग जातियों को गोलबंद कर रहे हैं. 

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