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...तो अशोक-औरंगजेब प्रकरण को तूल दे जदयू NDA को छोड़ने की फिराक में है? सुशील मोदी चिंतित...

...तो अशोक-औरंगजेब प्रकरण को तूल दे जदयू NDA को छोड़ने की फिराक में है? सुशील मोदी चिंतित...

पटना. सम्राट अशोक को लेकर बिहार में सत्ताधारी दल भाजपा और जदयू आमने सामने है. दोनों पार्टी के नेताओं की ओर से लगातार बयानबाजी हो रही है. लगातार हो रहे वाक युद्ध को अंत करने के लिए बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा सांसद सुशील मोदी ने एनडीए के घटक दलों से इस मुद्दे पर बयानबाजी बंद करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक राष्ट्रीय गौरव है, सम्राट पर विवादित टिप्पणई करने वाले लेखक भी सफाई दे दी है. इसके बाद मामले का पटाक्षेप होना चाहिए.

सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को तूल  दिया जा रहा है। 86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं। उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई।'

उन्होंने आगे ट्वीट किया, 'दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू मेंं जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।'

'दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया। यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है। साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं।'

'सम्राट अशोक का भाजपा सदा सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था। 2015 में भाजपा ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।'

'हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते।अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मान्तरण की एक भी घटना नहीं हुई। वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है।'  

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