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JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष का क्या होगा ? मंत्री और अध्यक्ष के बीच विवाद के बाद किनकी राजनीति होगी आबाद ? 'नीतीश' तो हैं सेटिंग के माहिर खिलाड़ी...जिसका साथ उसका भी हाथ छोड़ते देर नहीं करते,अब किसकी बारी ?

JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष का क्या होगा ? मंत्री और अध्यक्ष के बीच विवाद के बाद किनकी राजनीति होगी आबाद ? 'नीतीश' तो हैं सेटिंग के माहिर खिलाड़ी...जिसका साथ उसका भी हाथ छोड़ते देर नहीं करते,अब किसकी बारी ?

PATNA: नीतीश कुमार के घर में युद्ध से हालात हैं. दल के दो बड़े नेता आमने-सामने हैं. स्थिति तब बिगड़ गई जब मुख्यमंत्री के आवासीय परिसर में ही नीतीश कुमार के बेहद खास मंत्री अशोक चौधरी और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उलझ गए। बताया जाता है कि दोनों के बीच तीखी बहस हुई. इस दृश्य को कई नेताओं ने देखा. शायद पहली दफे किसी मंत्री ने ललन सिंह को इस तरह से जवाब दिया हो. इस तरह के जवाब का अनुमान राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी नहीं होगा. लेकिन भवन निर्माण मंत्री जो मुख्यमंत्री के काफी करीबी हैं, जिनसे नीतीश कुमार काफी प्रेम करते हैं, उन्होंने ऐसा ही रिएक्ट किया. खबर सामने आने के बाद दल के अंदर ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि अब अगला नंबर ललन सिंह का है. क्यों कि जेडीयू का इतिहास रहा है कि बड़े नेताओं को ठिकाने लगाने के लिए दूसरे नेता को खड़ा किया जाता है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जेडीयू के अंदर जार्ज से लेकर शरद यादव और आरसीपी को ठिकाना लगाने में इसी तरह के फार्मूले का प्रयोग किया गया था. 

कहां कुछ हुआ है..सब अफवाह है

CM नीतीश कुमार की पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. ललन सिंह और अशोक चौधरी के बीच सार्वजनिक विवाद के बाद स्थिति गंभीर हो गई है. ऊपर से भले ही मामले को रफा-दफा दिखाने की कोशिश की जा रही हो,लेकिन ऐसा है नहीं. सोमवार को दोनों के बीच हुए विवाद के बाद जहां आज मंगलवार को मंत्री अशोक चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पीछे मजबूती से खड़े दिख रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अन्य दिनों की तरह प्रदेश कार्यालय पहुंचे हैं. वैसे यह सब दिखाने की कोशिश है कि सबकुछ सामान्य है. इस इश्यू पर जेडीयू के तमाम नेता साफ-साफ बोलने से बचते दिख रहे. मुख्य़मंत्री नीतीश कुमार के एक और नजदीकी मंत्री विजय चौधरी से पूछा गया कि ललन सिंह और अशोक चौधरी के बीच विवाद हुआ है,क्या कहेंगे ? सवाल सुनकर मंत्री जी थोड़े परेशान हुए. फिर माहौल को हल्का करते हुए कहा कि कहां कुछ हुआ है . वह दोनों आदमी में कुछ हुआ है क्या... यह सब अफवाह है. दोनों आदमी जदयू में हैं, एक राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और एक सीनियर मंत्री हैं. अगर कुछ मतभेद भी होगा तो निराकरण हो जाता है, यह कौन सी बड़ी बात है. हमारे ख्याल से जिन लोगों ने आप लोगों को सुनाया है, उन्हीं से सुन लीजिए. क्योंकि हम लोग तो इस तरह की बात को सुने ही नहीं हैं. यानि जेडीयू में ऑल इज वेल बताने की कोशिश की जा रही है. 

अशोक चौधरी के शरीर से नीतीश के लिपटने के पांचवे दिन हुआ विवाद  

गौरतलब है कि सीएम नीतीश ने 21 सिंतबर को अशोक चौधरी को लेकर बड़ा बयान दिय़ा था. मंत्री के शरीर से लिपटते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम अशोक चौधरी से बहुत प्यार करते हैं. हम इन्हें देखते हैं तो काफी खुश हो जाते हैं. मुख्यमंत्री द्वारा अशोक चौधरी को लेकर सार्वजनिक तौर पर यह कहने के पांचवे दिन मुख्य़मंत्री आवास में ही ललन सिंह और भवन निर्माण मंत्री सबके सामने उलझ गए। सूत्र बताते हैं कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भवन निर्माण मंत्री से शेखपुरा-बरबीघा की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा. अशोक चौधरी को बार बार बरबीघा जाने पर सवाल उठाये गए। कहा गया कि आपकी वजह से वहां के जेडीयू विधायक असहज हो रहे हैं. इसके बाद अशोक चौधरी भड़क गए थे और तीखी प्रतिक्रिया दी थी. अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर अशोक चौधरी के भड़कने का वो दृश्य कई लोगों ने देखा था. 

नीतीश कुमार सभी पर एक ही फार्मूला का करते हैं प्रयोग 

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जेडीयू का यह पुराना फार्मूला है. नीतीश कुमार अपने कई बड़े नेताओं को कुर्सी से उतार चुके हैं. सबसे ताजा उदाहरण तो आरसीपी सिंह ही हैं. इसके पहले शरद यादव और जॉर्ज फर्नांडिस की भी वही हालात कर दी गई थी. कहा जाता है कि नीतीश कुमार देर सबेर एक-एक कर राजनीतिक रुप से निपटा ही देते हैं। उनका राजनीतिक स्वभाव रहा है बदला लेने में वह किसी भी हद तक चले जाते हैं। भले ही वह पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे पद पर ही क्यों न हों।

JDU में हुई थी जॉर्ज फर्नांडिस की फजीहत

2003 में जॉर्ज फर्नांडिस को JDU का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।बताया जाता है कि फर्नांडिस ने अपनी नजदीकी को राज्यसभा भेजने की बात कही तो नीतीश कुमार ने साफ नाकार दिया। इसके बाद दोनों के बीच विवाद बढ़ता गया. 2005 विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों नेताओं में तनाव साफ दिखता था. मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद उन्होंने 2006 में जॉर्ज फर्नांडिस की जगह शरद यादव को पार्टी की कमान सौंप दी. इतना ही नहीं खराब स्वास्थ्य के आधार पर जार्ज साहब को 2009 लोकसभा चुनाव के टिकट से भी वंचित कर दिया गया। वे विवश होकर मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन करारी हार का सामना करना पड़ा.  

शरद यादव को भी नहीं छोड़ा गया

जार्ज साहब के बाद शऱद यादव को जेडीयू की कमान सौंपी गई। 2006 में शरद यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर फर्नांडिस को किनारे लगा दिया गया था. मुख्यमंत्री ने समय के साथ शरद को भी JDU से बाहर का रास्ता दिखा दिया। 2016 में नीतीश कुमार खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। शरद यादव 2014 में लोकसभा का चुनाव हार गए थे . बाद में उन्हें राज्यसभा भेजा गया था. 2018 में शरद यादव JDU से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी।

'रामचंद्र' को किया था आउट 

अब बात करते हैं जेडीयू के 'रामचंद्र' रहे आरसीपी सिंह की. नीतीश कुमार ने अपने सबसे भरोसेमंद साथी आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया . 2020 विस चुनाव में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन नहीं होने पर खुद राष्ट्रीय से हट गए और कमान RCP सिंह को  दे दी। जब ये पार्टी को अपने मुताबिक चलाने लगे तो नीतीश कुमार को खटकने लगा। इसके बाद बड़े ही बेआबरू तरीके से अपने रामचंद्र को भी आउट कर दिया. 31 जुलाई 2021 को रामचंद्र प्रसाद सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से लेकर अब तक सब कुछ सामान्य चल रहा था. इसी बीच 25 सिंतबर को मुख्यमंत्री आवास पर जो घटना घटी उसके बाद राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है कि अब अगला नंबर ललन सिंह का ही है. क्यों कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक मंत्री ने सार्वजनिक रूप से जिस तरह से जवाब दिया, जेडीयू के अंदर यह सामान्य घटना नहीं हो सकती. वाकये अगले दिन ही नीतीश कुमार और मंत्री अशोक चौधरी साथ-साथ दिखे. तस्वीर सामने आने के बाद एक और मैसेज गया है, ''नीतीश कुमार वाकई में अशोक चौधरी से प्यार करते हैं.''   

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