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संयोग या सेटिंग ? मोतिहारी में शराब केस में जब्त गाड़ियों की नीलामी में किसी को मिले 58 तो किसी के नाम 36 गाड़ी, उठ रहे गंभीर सवाल

संयोग या सेटिंग ? मोतिहारी में शराब केस में जब्त गाड़ियों की नीलामी में किसी को मिले 58 तो किसी के नाम 36 गाड़ी, उठ रहे गंभीर सवाल

MOTIHARI:  बिहार में शराबबंदी कानून के तहत जब्त की गई गाड़ियों को सरकार ने नीलाम कर दिया है। हाल ही में अभियान चलाकर सभी जिलों में शराब केस में जब्त वाहनों की नीलामी की गई है। लेकिन नीलामी में कई तरह की गड़बड़ी और सेटिंग के मामले सामने आये हैं। मोतिहारी में मद्य निषेध और परिवहन एमवीआई की पोल खुली है। इस जिले में वैसी गाड़ियों को भी एमवीआई ने वैल्यू लगा दिया जो गाड़ी चार साल पहले ही कोर्ट के आदेश पर रिलीज हो गई है। वहीं मद्य निषेध विभाग ने वैल्यू के बाद उक्त गाड़ी को नीलाम भी कर दिया। अब एक नया मामला सामने प्रकाश में आया है। आप इस संयोग कहें या सेटिंग लेकिन एक-एक व्यक्ति के नाम पर नीलामी में बड़ी संख्या में गाड़ियों को दिया गया है।ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। 

संयोग या प्रयोग?

मोतिहारी डीएम के आदेश पर वाहनों की नीलामी की गई है। डीएम ने 14 दिसंबर 2021 को इस संबंध में अधीक्षक मद्य निषेध को आदेश दिया था. उत्पाद अधिनियम के तहत दर्ज केस में वाहनों की सार्वजनिक नीलामी का आदेश था. इस आलोक में समिति गठित की गई जिसमें 23 और 24 दिसंबर को राज्य 7 वाहनों की नीलामी की गई. कुल मिलाकर 685 वाहनों में से 341 वाहनों की नीलामी की गई. जिसमे सरकार को 1 करोड़ 23 लाख 40 हज़ार 300 रुपए राजस्व प्राप्ति हुई। डाक में 341 वाहन में अकेले पप्पू कुमार को 20,नीरज कुमार को 58 व संतोष कुमार के नाम पर 36 वाहन डाक किया गया। वहीं डाक सूची में 33 पर अंकित अशोक प्रसाद यादव का नाम अंकित है । जिसने 14000 मात्र में कार का डाक लिया। वहीं अधिकारी सब कुछ नियम सम्मत बता रहे हैं।  बड़ा सवाल यही है कि यह संयोग है या सेटिंग कि एक-एक आदमी को डाक में 58 गाड़ियां मिल जा रहीं। जानकार बताते हैं कि 341 वाहनों में एक शख्स के नाम पर इतनी गाड़ियों की नीलामी मिलना आर्श्चयजनक बात है।   

मोतिहारी में बड़ा खेल

मोतिहारी में परिवहन विभाग के एमवीआई-मद्य निषेध विभाग का अजीबो-गरीब कारनामा सामने आया है। थाना में गाड़ी देखे बिना एमवीआई ने कर दिया मूल्यांकन।वहीं मधनिषेध विभाग ने निकाल दिया टेंडर। डाक में बोलेरो गाड़ी के लिए 1 लाख की बोली लगा और पैसा जमा कर जब वह व्यक्ति थाना पहुंचा तो थाना में गाड़ी ही नही है ।पता चला कि बोलेरो तो वर्ष 2017 में ही हाई कोर्ट के आदेश पर रिलीज हो गया। आखिर जब गाड़ी थाना में था ही नही तो मूल्यांकन कैसे हो गया?  यह बड़ा सवाल है। ।वही थाना में जब गाड़ी थी ही नही था तो मद्यनिषेध विभाग ने डाक कैसे कर दिया? डुमरियाघाट थाना कांड संख्या- 86/17 में जब्त एक बोलेरो संख्या- बीआर06पी 7989 की उच्चतम बोली लगा उस गाड़ी का अधिकार पत्र एक शख्स ने अपने नाम किया था। उसने ऑक्शन में बोली गयी उच्चतम नीलामी राशि एक लाख रुपये 25 दिसंबर को विभागीय कार्यालय में जमा करा दिया. साथ ही विभाग से उक्त बोलेरो गाड़ी को थाना से विमुक्त कराने के लिए प्रमाण पत्र ले लिया। इधर गाड़ी को विमुक्त कराने जब वह थाने पहुंचा तो थानेदार ने बताया कि उक्त गाड़ी थाना में नही है. उक्त बोलेरो संख्या- बी आर 06 पी 7989 उच्चतम न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2017 में ही मुक्त हो गया है.  वहीं इस संबंध में मोतिहारी के एमवीआई ने कहा था कि मानवीय भूल की वजह से ऐसा हुआ है।  


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