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नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा! नीतीश सरकार दशहरा से पहले देगी गिफ्ट!

नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा! नीतीश सरकार दशहरा से पहले देगी गिफ्ट!

पटना-बिहार के सीएम नीतीश कुमार नियोजित शिक्षकों को जल्दी हीं तोहफा दे सकते हैं. सरकारी शिक्षक का दर्जा देने पर गंभीरता से विचार हो रहा है.सूत्रों के अनुसार  नियोजित शिक्षकों को नीतीश सरकार जल्द राज्यकर्मी का दर्जा देकर बड़ा गिफ्ट दे सकती है और इसकी घोषणा  दशहरा से पहले हो सकती है. राज्य कर्मी का दर्जा मिलने से सूबे के लगभग  4 लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों को लाभ मिलेगा. अभी  ये तय किया जा रहा है कि  बीपीएससी की परीक्षा लेने के बाद राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा या फिर बिना परीक्षा लिए ही उन्हें तोहफा दिया जाएगा. इस पर इसी महीने के अंत तक फैसला हो जाएगा.

नीतीश कुमार ने अगर हरी झंडी दे दी तो राज्य सरकार के खजाने पर 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.दरअसल चुनावी मौसम को देखते हुए नीतीश ने नियोजित शिक्षकों को सरकारी का दर्जा देने का मन बनाया है.  बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या लगभग चार लाख बताई जाती है.  अगर औसतन पांच लोगों का एक परिवार माना जाए तो सभी नियोजित शिक्षक परिवारों के तकरीबन 20-25 लाख लोग होते हैं. हर शिक्षक परिवार में अगर औसतन तीन भी वोटर हैं तो नीतीश के लगभग 10-12 लाख वोटों पर फिलहाल खतरा दिखाई दे रहा है. शायद यही वजह है कि राज्य सरकार अब अपने अड़ियल रुख में बदलाव करते हुए उनकी मांगें मानने को विवश हुई है. अभी तक तो सिर्फ प्रदर्शन होते रहे हैं. शिक्षक संघ भी अब नियोजित शिक्षकों के पक्ष में खड़े हो गए हैं. यानी बाकी शिक्षकों का भी समर्थन नियोजित शिक्षकों को मिल सकता है. ऐसा हुआ तो बिहार में बड़े पैमाने पर वोटों का नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है.

नियोजित शिक्षकों को पहले इस बात पर एतराज था कि जब वे सारी अर्हताएं पूरी कर रहे हैं तो उन्हें सीधी नियुक्ति का अवसर क्यों नहीं दिया गया. वर्षों से वे इसके इंतजार में थे. इसके बावजूद शिक्षक बनने के लिए लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने को आवश्यक बना दिया गया. उनकी नाराजगी अलग है.  इधर नियोजित शिक्षकों के लिए भी परीक्षा पास करने की शर्त रख दी गई. इनकी नाराजगी को देखते हुए ही शायद राज्य सरकार ने उदारता दिखाने का मन बनाया है.

 बता दें अगस्त में बिहार के नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी की मागं को लेकर धरना प्रदर्शन करते रहे हैं. इस मामले पर सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक नया सिस्टम तैयार करने का टास्क दिया था, जो उन्होने पूरा कर लिया है. अब कैबिनेट बैठक में इस फैसले पर मुहर लगना बाकी है. कैबिनेट का निर्णय होने के बाद राज्यकर्मी का दर्जा पाने वाले नियोजित शिक्षकों को भी बीपीएससी के शिक्षकों के बराबर वेतन मिलेगा. बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार खुद चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाए. इसके बजट को लेकर भी चर्चा पूरी हो गई है. 

आपको बता दें अगस्त महीने में नियोजित शिक्षकों की इस मांग को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन के नेताओं के साथ बैठक की थी. जिसमें शामिल नेता ने कहा कि बिना किसी स्क्रीनिंग के सभी नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना संभव नहीं होगा जबकि वाम दलों के नेताओं ने जोर देकर कहा कि सभी कार्यरत शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने में कोई बड़ा वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा. जिस पर सीएम नीतीश ने गौर करने की बात कही थी. 

सूत्र बता रहे हैं कि सरकार ने विधिक परामर्श भी ले ली है और अब कहीं बड़े अड़चन नहीं हैं. नियोजित शिक्षकों को सरकार ने पहले बीपीएससी की परीक्षा के माध्यम से राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला लिया था लेकिन इस बीच शिक्षक संघ और महागठबंधन में शामिल वाम दल के नेताओं ने ही विरोध कर दिया था, जिसके बाद नीतीश सरकार ने महागठबंधन की बैठक बुलाई थी और इशारा दिया था कि जल्द राज्यकर्मी का दर्जा देंगे. अब सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा लिया है और दशहरा के पहले नियोजित कर्मियों को राज्यकर्मी का दर्जा दे सकती है. 

 

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