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फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी शिक्षक बने लोगों पर हो सख्त कार्रवाई, हाईकोर्ट ने दिया आदेश, लगभग 70 हजार टीचरों का नहीं मिला फोल्डर

फर्जी डिग्री के आधार पर  सरकारी शिक्षक बने लोगों पर हो सख्त कार्रवाई, हाईकोर्ट ने दिया आदेश, लगभग 70 हजार टीचरों का नहीं मिला फोल्डर

PATNA : पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर फैसला देते हुए कहा कि उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाये,जहाँ जाँच के बाद गड़बड़ी पायी जाती है। रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई 19 मार्च,2024 को पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा, जिसे आज  सुनाया।

सर्वशिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए फंड दिया था।राज्य के द्वारा तीन स्तरीय पंचायत संस्थानों में  शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी।  राज्य सरकार ने 2006 से ले कर 2015 तक  शिक्षकों की नियुक्ति की गयी।इस जनहित याचिका में  यही आरोप लगाया गया कि बहुत से शिक्षकों को बड़ी संख्या में  नियुक्ति फर्जी डिग्री के आधार नियुक्त हो गये।

कोर्ट ने बाद में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए कहा कि  ऐसे शिक्षकों को क्षमादान दिया जा सकता है ,स्वयं अपने आप त्यागपत्र देते है।कोर्ट ने इसके लिए 15 दिनों की समय सीमा तय की थी। कोर्ट के आदेश के बाद फर्जी डिग्री के आधार पर लगभग तीन हजार शिक्षकों ने स्वयं त्यागपत्र दे दिया।बाद में इस मामलें की जांच निगरानी विभाग ने  शुरु की। बहुत सारे विश्वविद्यालयों व शिक्षा संस्थानों से फर्जी डिग्री प्राप्त करने वालों शिक्षकों की जांच शुरु की गयी। लेकिन जाँच में  बहुत सफलता नही मिली।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने  राज्य सरकार और राज्य निगरानी विभाग को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए  मोहलत दिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि अभी भी 72 हजार शिक्षकों के फोल्डर नहीं प्राप्त हुआ है।ये मामला काफी दिनों से चल रहा है, लेकिन जांच की रफ़्तार काफी धीमी है। 

 पूर्व की सुनवाई में  कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें,जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

 याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं।साथ ही वे वेतन उठा रहे है।कोर्ट ने गड़बड़ियों की जाँच कर जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का आदेश देते हुए मामलें को निष्पादित कर दिया।

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