बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

मुख्यमंत्री पद से अचानक हटा दिया, ऐसा लगा मानो मेरा कोई वजूद ही नहीं है,... उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था... पहली बार खुलकर बोले चंपाई सोरेन

मुख्यमंत्री पद से अचानक हटा दिया, ऐसा लगा मानो मेरा कोई वजूद ही नहीं है,... उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था... पहली बार खुलकर बोले चंपाई सोरेन

RANCHI : झारखंड में विधानसभा चुनाव के पूर्व बड़ी राजनीतिक उठापटक हुई है। अब लगभग साफ हो गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने हेमंत सोरेन का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ने का फिलहाल अधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन इसी बीच अपने एक्स हैंडल पर उन्होंने एक लैटर पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने पिछले कुछ महीने में हेमंत सोरेन के साथ अपने रिश्ते को लेकर खुलकर लिखा है। चंपाई सोरेन ने लिखा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में किसी के लिए बुरा नहीं किया। फिर अचानक मुझे सीएम पद से हटा दिया जैसे कि मेरा कोई वजूद ही नहीं है।

चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा कि पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था. मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता. इतने अपमान और तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया.

चार दशक में पहली बार टूटने का एहसास

चंपई ने कहा कि पिछले 4 दशकों के अपने बेदाग राजनीतिक सफर में मैं पहली बार भीतर से टूट गया. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. दो दिन तक चुपचाप बैठकर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा. सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?

मेरे सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए, 

पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि जब सत्ता मिली, तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था, झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान मैंने कभी भी किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया. इसी बीच हूल दिवस के अगले दिन मुझे पता चला कि अगले 2 दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है. इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था. 

सीएम के रूप में नहीं जा सकता था किसी कार्यक्रम में

पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते. क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा, लेकिन उधर से साफ इंकार कर दिया गया।

सिर्फ एक व्यक्ति पार्टी में मुझसे ऊपर

उन्होंने कहा कि  जब वर्षों से पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक नहीं हो रही है और एकतरफा आदेश पारित किए जाते हैं, तो फिर किस के पास जाकर अपनी तकलीफ बताता? इस पार्टी में मेरी गिनती वरिष्ठ सदस्यों में होती है, बाकी लोग जूनियर हैं, और मुझ से सीनियर सुप्रीमो जो हैं, वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, फिर मेरे पास क्या विकल्प था? अगर वे सक्रिय होते, तो शायद अलग हालात होते.

बैठक में मांगा गया इस्तीफा

चंपई सोरेन ने कहा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था, बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया. मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था.


Suggested News