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SC/ST ACT में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला... अब नहीं होगा ऐसा ....

SC/ST ACT में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला... अब नहीं होगा ऐसा ....

Desk : उच्च जाति से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति को उसके कानूनी अधिकारों से महज इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता कि उसके प्रतिद्वंद्वी एससी/एसटी समुदाय  के सदस्य हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में यह व्‍यवस्‍था दी।SC/ST समुदायों की रक्षा करने वाले कानून SC/ST ACT की व्याख्या पर एक उल्लेखनीय निर्णय में शीर्ष अदालत ने माना कि किसी पर केवल इसलिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, क्योंकि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) से होता है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "एससी/एसटी अधिनियम के तहत अपराध केवल इस तथ्य पर स्थापित नहीं किया जाता है कि सूचना देने वाला अनुसूचित जाति का सदस्य है, जब तक कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को उसकी जाति की वजह से अपमानित करने का कोई इरादा नहीं हो।

पूर्व के फैसले को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि गालियां देना भी विशेष कानून के तहत अपराध नहीं होगा, जब तक कि यह प्रतीत नहीं होता कि यह केवल एससी / एसटी समुदाय के सदस्य को अपमानित करने के उद्देश्य से किया गया था.न्यायामूर्ति ने कहा कि किसी व्यक्ति के लिए सभी अपमान या धमकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं होगा, जब तक कि इस तरह का अपमान या धमकी पीड़ित के अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने की वजह से हुआ हो।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसलों की भी दोबारा पुष्टि की कि एक्‍ट के तहत होने वाले ऐसे अपराध तभी अपराध माने जाएंगे, जब वह जनमानस के बीच हुए हों, ना कि अलग से प्राइवेटली जैसे किसी घर के अंदर या किसी बिल्डिंग की चारदीवारी के भीतर।

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