गोधरा में कारसेवकों को जिंदा जलाने के मामले सजायाफ्ता दोषी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

DESK. 27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डब्बे को आग के हवाले करके कारसेवकों को जिन्दा जला देने वाले मामले में सजायाफ्ता दोषी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद गोधरा कांड के उम्रकैदयाफ्ता दोषी फारुक को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है।
सीजेआई ने गोधरा कांड के दोषी को जमानत देते हुए कहा कि फारुक 2004 से जेल में है और 17 साल जेल में रह चुका है। लिहाजा उसे जेल से जमानत पर रिहा किया जाए। दोषी पर पत्थरबाजी का मामला है। सुनवाऊ के दौरान जमानत का विरोध करते हुए गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये महज पत्थरबाजी नहीं थी। ये जघन्य अपराध था। जलती ट्रेन से लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह महज पत्थरबाजी का केस नहीं है।
बता दें कि 27 फरवरी 2002 का दिन हमारे स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष देश में सुबह 7:43 पर गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 23 पुरुष और 15 महिलाओं और 20 बच्चों सहित 58 लोग साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर S6 में जिंदा जला दिए गए थे। उन लोगों को बचाने की कोशिश करने वाला एक व्यक्ति भी 2 दिनों के बाद मौत की नींद सो गया था।
इसी घटना के बाद गुजरात में बड़े स्तर पर हिंसा भड़की. बाद में गुजरात दंगों का दंश तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा. इसे लेकर खूब रजनीति भी हुई. यहां तक कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद भी आज तक कई विपक्षी दलों की ओर इस पर टीका-टिप्पणी की जाती है.