NEW DELHI : एक तरफ कोर्ट की कार्यवाही में पारदर्शिता लाने के लिए समूची सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ देश के ख्यातिलब्ध अधिवक्ता व राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल इसके विरोध में उतर गए हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान ही कोर्ट से लाइव स्ट्रीमिंग को बंद करने की मांग सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कर दी। उनका कहना था कि लाइव स्ट्रीमिंग के कारण कई केसों में जनता के बीच उनकी 50 साल की साख और छवि धूमिल हो रही है। हालांकि सीजेआई ने उनकी मांग को मानने से इनकार कर दिया।
बंगाल में डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में बंगाल सरकार का पक्ष रख रहे थे सिब्बल
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पिछले महीने हुए आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए महिला डॉक्टर से रेप और हत्या की सुनवाई चल रही है। जिसमें कपिल सिब्बल बंगाल की ममता सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख रहे थे। जहां उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच से लाइव स्ट्रीमिंग को रोकने की मांग की थी।
ऐसा लग रहा है हम गुनाहगारों के साथ खड़े
कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर कहा आप अगर कोई कमेंट करते हैं तो मेरी 50 साल की प्रतिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे बंगाल सरकार का पक्ष रखकर हम गुनाहगारों की तरफ खड़े हो गए हैं। मेरी 50 साल की प्रतिष्ठा रातोंरात नष्ट हो रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया में कहा जा रहा है कि मैं सुनवाई के दौरान हंस रहा था. जबकि मैं कभी नहीं हंसा और लोग उसे चला रहे थे. ये बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला है। लिहाजा इस मामले की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाई जाए।
हालांकि कपिल सिब्बल की मांग को सीजेआई ने नकार दिया, सीजेआई ने कहा, 'नहीं, हम लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक नहीं लगाएंगे।
बता दें कि कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी अदालतों में केसों की सुनवाई के दौरान लाइव स्ट्रीमिंग कराने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद कई सुप्रीम कोर्ट सहित कई कई हाईकोर्ट में केसों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जा रही है।