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रामचरित मानस बैन करने की बात करने वालों पर बरसे स्वामी आगमानंद महराज, धर्म शास्त्रों का अनर्थ न निकालें, ऐसा किया तो होगी दुर्दशा

रामचरित मानस बैन करने की बात करने वालों पर बरसे स्वामी आगमानंद महराज, धर्म शास्त्रों का अनर्थ न निकालें, ऐसा किया तो होगी दुर्दशा

नवगछिया. शिवशक्ति योगपीठ के पीठाधीश स्वामी आगमानंद महराज ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर कहा की भारत तो हिंदू राष्ट्र ही है. यह शाश्वत सत्य है. यह राष्ट्र वस्तुतः उसी हिंदुत्व राष्ट्र से आदिकाल से जुड़ा हुआ है. यह बात सच है कि शुरू से ही यहां सब को आदर दिया गया है. जैसे महराज विभीषण लंका से जब आए तो भगवान श्रीराम ने उनका भी आदर किया सम्मान किया. भारत के शरण में जो कोई आते है उनका आदर सम्मान होता है और ऐसा है की इस सनातन हिन्दू धर्म में सारे के सारे धर्मो का संरक्षण भी होता है. 

रामचरित मानस से जुड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि आजकल प्रायः राजनीतिज्ञ लोग धर्म शास्त्रों का अनर्थ लगाने लगे हैं. उन्होंने कहा कि साधुओं की भाषा समझने के लिए साधुता होनी चाहिए. ‘कबीर दास के उल्टे वाणी बरसे कंबल भीगे पानी" अगर इसका लोग इसके साधारण अर्थ लगाएंगे तो कंबल कहां से बरसेगा, पानी कैसे भींगेगा मुश्किल हो जायेगा. आजकल प्रायः राजनीतिज्ञ लोग धर्म शास्त्रों की बातों का अनर्थ लगाने लगे है. बिना सत्संग के बिना भजन के आध्यात्मिक पैठ के संतो की वाणियों का अर्थ नहीं लगाना चाहिए. यह अनर्थ है.

उन्होंने कहा कि जिस पंक्ति पर विवाद है उस पंक्ति में उस शब्द का यथार्थ और जवाब सही मिले इसके लिए सारे मानस के विद्वान इस पर प्रयत्नशील है. रामचरितमानस, वेद शास्त्र, पुराण, उपनिषद, कबीर के ग्रंथ , रविदास के ग्रंथ सबको अगर बैन कर दिया जाए तो फिर मनुष्य को रास्ता दिखाने वाला कौन सा ग्रंथ रहेगा. आज भारत के संविधान में भी 90 प्रतिशत उन्ही संतो की वाणियों का आश्रय लिया गया है. जितना बैन होगा भारत की दुर्दशा होगी और इसके बैन करने वाले की भी दुर्दशा होगी.


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