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स्वाति विधान बरुआ बनी देश की तीसरी ट्रांसजेंडर जज, आज से शुरु करेंगी अपना काम

स्वाति विधान बरुआ बनी देश की तीसरी ट्रांसजेंडर जज, आज से शुरु करेंगी अपना काम

NEWS4NATION DESK :  पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र के बाद अब असम आज से तीसरा ऐसा राज्य बन गया है जहां ट्रांसजेंडर न्यायाधीश है। असम की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश आज यहां एक लोक अदालत में अपना काम शुरू करेंगी। इसके साथ ही पूर्वोत्तर का यह राज्य देश का तीसरा ऐसा राज्य बन जाएगा जहां ट्रांसजेंडर न्यायाधीश हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ऐसे न्यायाधीश सेवा दे चुके हैं। 

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पश्चिम बंगाल की  जोयिता मंडल देश के ट्रांसजेंडर समुदाय के गर्व का प्रतीक बनकर उभरी थी, जो देश की पहली ट्रांसजेंडर जज बनी थी। वो इस समुदाय के उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्होंने पूरी जिंदगी कठिनाईयों से लड़ते हुए एक सफल मुकाम को प्राप्त किया था। 29 वर्ष की उम्र मे जोयिता ने दफ़्तर में काम शुरू किया। वो बंगाल के उत्तर दिनाजपुर ज़िले के इस्लामपुर में लोक अदालत की जज हैं।

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अब स्वाति विधान बरुआ जो एक ट्रांसजेंडर है इस पद पर अपनी सेवा देने जा रहीं हैं। उन्हें इस पद पर कामरूप (मेट्रो) जिला विधिक सेवाओं द्वारा नियुक्त किया गया है। स्वाति विधान बरूआ आज से अपना काम कामरूप जिला एवं सत्र अदालत की अदालत नम्बर 25 में शुरू करेंगी। स्वाति ने कहा कि लोक अदालत में एक न्यायाधीश के पद पर मेरी नियुक्ति समाज के लिए एक बहुत ही सकारात्मक संदेश है। इससे ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में मदद मिलेगी।

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बताते चले कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे जेंडर को मान्यता दी थी, जिसके बाद ट्रांसजेंडर्स की स्थिति में काफ़ी बादलाव आये हैं। कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में भी ट्रांसजेंडर्स के लिए कोटा सुनिश्चित किया है। ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों का एक बिल अब भी संसद में लंबित है।

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लोक अदालत में आम तौर पर तीन सदस्यीय न्यायिक पैनल शामिल होता है जिसमें एक वरिष्ठ न्यायाधीश, एक वकील, और एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होता है। मंडल, एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में, न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हैं।

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