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ये है असली टीचर: पढ़ाई में न हो रुकावट, टीचर ने बैलगाड़ी से स्कूल पहुंचाई किताबें

ये है असली टीचर: पढ़ाई में न हो रुकावट, टीचर ने बैलगाड़ी से स्कूल पहुंचाई किताबें

DESK: कहते हैं असली शिक्षक वह होता है जो अपने छात्र के सामने ऐसी मिसाल पेश करे, जिससे उसकी शिक्षा को छात्र जीवन भर याद करते रहे. ऐसी ही एक मिसाल सामने आई है मध्य प्रदेश से. यहां के रायसेन जिले के टीचर नीरज सक्सेना ने कुछ ऐसा किया है जिसके बाद उनकी काफी तारीफ की जा रही है. रायसेन जिले के टीचर नीरज सक्सेना ने खुद बैलगाड़ी पर सवार होकर बच्चों के किताबो को स्कूल पहुंचाया है.

कोरोना काल में स्कूल बंद है और स्कूल कब खुलेंगे इसका पता भी नहीं है. लेकिन नीरज सक्सेना अभी से काम में जुट गए हैं. सरकार द्वारा बच्चों के लिए भेजी गई किताबों कोस्कूल तक पहुंचाने के लिए नीरज अभी से ही जुट गए हैं. यही नहीं इसके लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन वो रुके नहीं. जिस रास्ते होकर स्कूल जाना पड़ता हैं वो रास्ता भी बहुत खराब है. सड़क पक्की नहीं है तो इसके लिए नीरज सक्सेना ने बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया

जब नीरज से पूछा गया कि कोरोना के वक्त में सभी घर बंद है और आप बच्चों की किताबों को स्कूल पहुंचा रहे हैं आखिर क्युं. नीरज ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से पढ़ाई पहले ही प्रभावित हो चुकी है. ऐसे में अब जब भी स्कूल खुलेंगे तो बच्चों को तुरंत किताबें मिल जाएंगे तत्काल प्रभाव से पढ़ाई शुरू हो जाएगी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने स्कूल तक किताबों को पहुंचा दिया.

साल 2009 से नीरज वहां पढ़ा रहे हैं, पहले वहां 15 बच्चे थे नीरज ने इलाकों में बच्चों के माता-पिता से बात की उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी और अब 94 बच्चे वहां पढ़ाई करते हैं. उन्होंने स्कूल के लिए कई काम किए हैं.आसपास पेड़ लगाए, पेड़ों में तख्तियां लगाई गई हैं. ताकि बच्चों को इसकी जानकारी मिले उनके काम की सराहना लोकेश कुमार जाटव ने भी की है 

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