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गृह जिले में होगी शिक्षकों की पोस्टिंग, टीचर्स डे पर बोले शिक्षा मंत्री - इसी महीने लागू होगी ट्रांसफर-पोस्टिंग की नई नियमावली

गृह जिले में होगी शिक्षकों की पोस्टिंग,  टीचर्स डे पर बोले शिक्षा मंत्री - इसी महीने लागू होगी ट्रांसफर-पोस्टिंग की नई नियमावली

PATNA : टीचर्स डे पर आज बिहार के सभी स्कूलों में शिक्षकों का सम्मान किया जा रहा है। वहीं बिहार के सरकारी शिक्षकों को लेकर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बड़ा ऐलान कर दिया है। शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि आनेवाले समय में शिक्षकों की पोस्टिंग उनके गृह जिलों में ही की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि सितंबर माह के अंत तक ट्रांसफर-पोस्टिंग की नई नीति लागू होगी। महिला, शिक्षक दंपती, दिव्यांग और असाध्य रोग से पीड़ितों का खास ख्याल रखा जाएगा। नियोजित और ‌‌BPSC शिक्षकों को इसका फायदा मिलेगा। मैं उम्मीद करता हूं कि शिक्षक समय पर स्कूल आएंगे। हमारे पहले टीचर माता-पिता होते हैं। वह जीने का सलीका सिखाते हैं। उंगली पकड़कर आगे चलना सिखाते हैं। इसके बाद शिक्षकों का रोल आता है। चुनौतियों को पार करना शिक्षक सिखाते हैं। हर छात्र- छात्राओं को अच्छा इंसान बनाना शिक्षकों का कर्तव्य है।

डा. कलाम ने मुझसे पूछा था मेरी आवाज पीछे बैठे बच्चों तक पहुंच रही हैं न

पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब मैं पटना का एसपी था। उस समय पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. अब्दुल कलाम पटना आए हुए थे। राजभवन में उन्होंने मुझे बुलाकर पूछा कि जहां मेरा कार्यक्रम है, वहां सरकारी स्कूल से कितने बच्चे आ रहे हैं। प्राइवेट स्कूल से कितने बच्चे हैं। पंखे लगे हैं ना। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मुझे सबसे पीछे भेजकर पूछा था कि मेरी आवाज वहां तक पहुंच रही है या नहीं। यह है शिक्षा और शिक्षक। आप सभी को कुछ इस तरह से सीखना होगा।

एक छात्र के लिए दो साल तक चली ट्रेन

शिक्षा मंत्री ने उदाहरण देकर शिक्षा के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का महत्व जापान से सीखना चाहिए। वहां एक टापू पर यूनिवर्सिटी थी। वहां से ट्रेन चलती थी। सभी छात्र पास आउट हो गए। एक छात्र बचे थे। छात्र ने ट्रैवल कंपनी को पत्र लिखा। एक छात्र के लिए दो साल तक ट्रेन चली।

बजट की 20 फीसदी शिक्षा पर हो रहा खर्च

मंत्री सुनील कुमार ने आगे कहा कि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार बदला है। 2001 में महिलाओं की साक्षरता 34 थी, आज 75 फीसदी है। पहले शिक्षकों की संख्या डेढ़ लाख के पास थी। आज 5 लाख 75 हजार है। पिछले एक साल में 2.5 लाख को नौकरियां मिली हैं। बजट का 20 फीसदी शिक्षा के लिए है।

शिक्षक अपना कर्तव्य समझें- एसीएस एस. सिद्धार्थ

वहीं, अपने संबोधन में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार में पौने छह लाख शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस बना रहे हैं। शिक्षक और सामान्य कर्मियों में अंतर होता है। शिक्षक का कर्तव्य है कि वह बच्चों को ऐसी शिक्षा दें, जो समाज को नई दिशा दें। शिक्षक नदी, पहाड़, दूर दराज में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। स्कूल आइए, मिड डे मील खिलाइए और बच्चे को घर भेज दीजिए। ऐसा नहीं है। शिक्षकों से मेरा अनुरोध है कि वह अपने कर्तव्य को समझें। यह सामान्य काम नहीं है।

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