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तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने के करीब, राजद के पक्ष में विधायकों का नंबर गेम, ललन सिंह के जदयू अध्यक्ष पद छोड़ने पर बिहार में बदलेगा सियासी समीकरण...

तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने के करीब, राजद के पक्ष में विधायकों का नंबर गेम, ललन सिंह के जदयू अध्यक्ष पद छोड़ने पर बिहार में बदलेगा सियासी समीकरण...

पटना. बिहार की सियासत में बड़े उलटफेर की अटकलों के बीच जदयू और राजद के रिश्तों में तनातनी की खबरें जोरों पर हैं. सूत्रों के अनुसार जदयू अध्यक्ष पद से ललन सिंह भी इस्तीफा दे रहे हैं. 29 दिसम्बर को दिल्ली में होने वाली जदयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ललन सिंह के बदले किसी दूसरे नेता को पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कहा जा रहा है कि वे कुछ नामों पर अध्यक्ष पद के लिए चर्चा कर चुके हैं, जिसकी घोषणा 29 दिसम्बर को की जाएगी. 

इस बीच, जदयू में सियासी समीकरण बदलते हैं तो बिहार में सत्ता परिवर्तन के आसार भी दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि पिछले कुछ समय से महागठबंधन में राजद और जदयू के बीच रिश्तों तकरार बढ़ा है. यहां तक कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान राज्य सरकार के कई कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शामिल नहीं हुए हैं. इसे लेकर अलग अलग कयासबाजी भी चल रही है. ऐसे में ललन सिंह के जदयू अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार में सियासी बदलाव की आहट सुनाई दे रही है. 

दरअसल, 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में आरजेडी के विधायकों की संख्या अभी 79 है. सरकार बनाने-चलाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है. आरजेडी को कांग्रेस और लेफ्ट का साथ पहले से ही मिला हुआ है. कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक शुरू से ही आरजेडी के साथ हैं. यानी आरजेडी, कांग्रेस और वामदलों को जोड़कर 114 विधायक हैं. वहीं जदयू के पास महज 45 विधायक हैं. वहीं एक निर्दलीय और एक ओवैसी की पार्टी के विधायक हैं. इस तरह 114 के अलावा 2 अन्य विधायकों को जोड़ने पर यह राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन की संख्या 116 हो सकती है. यह बहुमत के जादुई आंकड़े 122 से 6 कम है. 

सूत्रों का कहना है कि जदयू में अगर ललन सिंह के इस्तीफे के बाद खटपट बढती है तो उस स्थिति में कुछ विधायक अलग अलग रास्ता पकड़ सकते हैं. पार्टी में अगर टूट होती है तो उस स्थिति में राजद के लिए बिहार के सरकार बनाने के रास्ता साफ हो सकता है. बहुमत से 6 विधायक पीछे चल रही लालू यादव की पार्टी संभवतः इसीलिए पूरे उठापटक को चुप्पी साधे देख रही है. साथ ही सीएम नीतीश पर हमलावर होने से भी राजद पीछे नहीं है. राजद एमएलसी और राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई कहे जाने वाले सुनील सिंह लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. ऐसे में अगर कोई सियासी बदलाव होता है तो उस स्थिति में राजद की ओर से कहा जा सकता है कि उनके दल के नेता (सुनील सिंह) तो हमेशा से नीतीश कुमार की नीतियों और निर्णयों के आलोचक रहे हैं. 

सियासी जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में मचे उथलपुथल पर राजद की पैनी नजर है. ललन सिंह के अध्यक्ष पद को छोड़ने के बाद क्या स्थिति बनती है, राजद उसी हिसाब से आगे का निर्णय ले सकती है. राजद के लिए अनुकूल स्थितियां बनीं तो तेजस्वी यादव के सिर पर बिहार के मुख्यमंत्री पद का ताज सज सकता है. 

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