PATNA: बिहार में पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने की तमाम कोशिश अब तक निरर्थक साबित हुई है। आम लोगों में पुलिस की छवि दागदार और परेशान करने वाली रही है। आज भी आम लोग पुलिस से दूर रहना ही चाहते हैं. लोगों के मन में यह बात बैठी हुई है कि पुलिस की छवि को सुधारा नहीं जा सकता। लेकिन इस दौर में भी पुलिस में अच्छे लोग हैं. वैसे अफसर आज भी हैं जो आम जनमानस में अपनी पैठ जमाए हुए हैं. तभी तो किसी एक पुलिस अफसर के लिए जनता सड़कों पर उतर जाती है। उस पुलिस वाले में कुछ न कुछ खूबी होगी और जनता का विश्वास जीता होगा, तभी तो आम जनता जिन्हें किसी थानेदार से मतलब नहीं वो भी सड़क पर उतर गया. हम बात कर रहे हैं अरवल के एक थानेदार की. दबाव में जब पुलिस अधीक्षक ने एक थानेदार को लाईन हाजिर किया तो उस इलाके के लोग सड़कों पर उतर गए और एसपी से निर्णय बदलने का आग्रह किया।
परासी थानाध्यक्ष को हटाये जाने के बाद उबाल
अरवल के परासी थाना क्षेत्र के चकिया गांव में अगलगी की घटना में एक महिला की मौत हो गई थी और एक बच्ची की झुलस कर गंभीर रूप से घायल हो गई थी, इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। साथ ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई। कुछ लोग परासी पुलिस पर सवाल खड़े करने लगे। घटना को लेकर एसपी के द्वारा थाना अध्यक्ष संजीत कुमार और एक सब इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर किया गया था. इसके बाद स्थानीय लोगों में उबाल हो गया। परासी के लोग थानेदार के पक्ष में खड़े हो गए। लोग सड़कों पर उतर कर थानेदार को हटाये जाने का विरोध करने लगे।
एसपी से कार्रवाई वापस लेने की मांग
अरवल जिले के परासी थाना अध्यक्ष संजीत सिंह और प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर विकास कुमार को लाइन हाजिर किए जाने के बाद क्षेत्र की जनता में उबाल है। क्षेत्र की जनता शुक्रवार की शाम थाना गेट पर बैठकर जमकर नारेबाजी की। क्षेत्र की जनता ने परासी बाजार से थाना गेट तक कैंडल मार्च निकाला। इसके बाद बड़ी संख्या में क्षेत्र की जनता थाना गेट पर बैठकर नारेबाजी की और एसपी को मौके पर बुलाने की मांग की। स्थानीय लोगों का कहना था कि स्थानीय थानाध्यक्ष संजीत कुमार बेकसूर हैं. इसके बाद भी उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया। लोगों ने थाना अध्यक्ष पर कार्रवाई वापस लेने की मांग किया है।