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बीजेपी के सांसद के परिवार को बैंक ने लोन देने से किया इनकार, कांग्रेस के शासन में बने इस कानून का दिया हवाला, अब विवाद बढ़ा तो अब संसदीय समिति ने आरबीआई से मांगा जवाब

बीजेपी के सांसद के परिवार को बैंक ने लोन देने से किया इनकार, कांग्रेस के शासन में बने इस कानून का दिया हवाला, अब विवाद बढ़ा तो अब संसदीय समिति ने आरबीआई से मांगा जवाब

NEW DELHI : आम तौर पर यह माना जाता है कि सामान्य या गरीब तबके के लोगों की तुलना में बड़े बिजनेसमैन, राजनेताओं और उनके परिवार को बैकों से लोन आसानी से मिल जाता है। बैंक उनसे ज्यादा पूछताछ नहीं करता है। लेकिन गलतफहमी तब दूर हो गई, जब भाजपा के सांसद के परिजन को बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया। इसके पीछे आरबीआई के नियमों का हवाला दिया गया। मामला सामने आने के बाद संसदीय समिति ने गंभीरता से लिया और अब आरबीआई को इस मामले में जवाब देने के लिए बुलाया है।

पूरा मामला भाजपा के राज्यसभा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल के परिजनों को एक बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया। बैंक ने कहा कि अग्रवाल का परिवार ‘पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन’ कैटेगरी में आता है, जिसके कारण लोन स्वीकृत नहीं हो सकता है।  इसके बाद यह मामला संसद की वित्त मामलों की समिति में उठा।

आरबीआई से मांगा जवाब

मंगलवार को हुई संसदीय समिति की बैठक में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने यह मुद्दा उठाया और चिंता जाहिर की. इसके बाद तमाम दलों के सांसदों ने पार्टी लाइन से इतर, मनीष तिवारी की राय से अपनी सहमति जाहिर की। संसदीय समिति ने रिजर्व बैंक, डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंशियल सर्विसेज, औक स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया से एनबीएफसी से जुड़े मसले पर मौखिक सबूत देने को कहा है। उन्हें 30 अक्टूबर को समन किया गया है।

कौन होते हैं ‘पॉलिटिकली एक्सपोज्ड’ कैटेगरी में शामिल

रिजर्व बैंक के मुताबिक ‘पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन’ (PEP) या ऐसे व्यक्ति होते हैं जो राजनीति या सरकार में ऊंचे पद पर होते हैं. इस कैटेगरी में स्टेट हेड, सरकार, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक अधिकारी, आर्मी अफसर और सरकारी कंपनियों के टॉप एग्जीक्यूटिव शामिल हैं. साथ ही महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों के नेता भी इसी कैटेगरी में आते हैं.

RBI की गाइडलाइन में आय के बारे में जानकारी देने का नियम

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 12 साल पहले 2011 में एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि बैंक ‘पॉलिटिकली एक्सपोज्ड’ कैटेगरी में आने वाले शख्स या ग्राहक के बारे हर संभव जानकारी और सूचना जुटाए, ताकि बात पूख्ता हो सके. रिजर्व बैंक ने कहा था कि इस कैटेगरी में आने वाले शख्स को ग्राहक बनाने स पहले बैंक उसकी पहचान की अच्छे से पड़ताल कर ले और उसकी आय का जरिया भी पूछ ले। कहीं न कहीं यह नियम उन बड़े बिजनेसमैन को लेकर बनाए गए थे। जो बैंकों से लोन लेकर देश छोड़कर भाग गए थे।

परिवार-रिश्तेदार भी आते हैं दायरे में, करनी पड़ती है मॉनिटरिंग

आरबीआई ने कहा था कि ‘पॉलिटिकल एक्सपोज्ड पर्सन’ कैटेगरी में आने वाले किसी शख्स को ग्राहक बनाने का फैसला बैंक के सीनियर अफसर ही ले सकते हैं और ऐसे अकाउंट की नियमित अंतराल पर मॉनिटरिंग भी करनी होगी. इसी सर्कुलर में रिजर्व बैंक ने कहा था कि यह नियम ‘पॉलिटिकल एक्सपोज्ड पर्सन’ कैटेगरी में आने वाले व्यक्ति के परिवार और करीबी रिश्तेदारों पर भी लागू होगा.



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