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छपरा में नहीं थम रहा सफेद बालू का काला कारोबार, दलिया रहीमपुर पंचायत बना सेफ जोन

छपरा में नहीं थम रहा सफेद बालू का काला कारोबार, दलिया रहीमपुर पंचायत बना सेफ जोन

CHAPRA : शहर में सफेद बालू का काला कारोबार नहीं थम रहा है। दिन प्रतिदिन यह कारोबार पूरे नगर निगम क्षेत्र में फैलते जा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि रिविलगंज प्रखंड के दलिया रहीमपुर पंचायत सफेद बालू के काले कारोबार का सेफ जोन बन चुका है। क्योंकि यह पंचायत छपरा शहर से सटा हुआ है। पूरी रात इस पंचायत के दियारा क्षेत्र से बालू की ढुलाई होती है। अब तो आने वाले मानसून में नदियों में पानी बढ़ने के मौके को ध्यान में रखते हुए लाल बालू भी इस पंचायत में स्टोर करने की तैयारी हो रही है। सफेद और लाल बालू का काला कारोबार करने वाले शहर वासियों को खुलेआम मौत बांट रहे हैं और वह भी भगवान बाजार थाने से 50 से 500 कदम की दूरी पर।  रोड में वैसे तो रात भर लेकिन अधिकतर सुबह 3:00 बजे सैकड़ों की संख्या में बिना ढके हुए ओवरलोडेड सफेद बालू का ट्रैक्टर दौड़ लगाते नजर आ जाते हैं। इनकी दौर फुल साउंड में भोजपुरी गीतों के बीच होती है ऐसे में शहर में कभी भी बड़ा हादसा भी हो सकता है। लेकिन हद की बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासनिक अमला के आसपास रहने के बावजूद हो रहा है।

यहां है माफियाओं का अड्डा

छपरा शहर से सटे रिविलगंज थाना क्षेत्र के दिलिया रहीमपुर जान टोला में खनन माफिया फल-फूल रहे है। लगातार सरयू नदी से सफेद बालू के अवैध खनन का सिलसिला चल रहा है। नदी से आए दिन अवैध रूप से बालू खनन का काला कारोबार जारी है। हैरानी की बात यह है कि भगवान बाजार थाना क्षेत्र और रिविलगंज थाना पुलिस की नाक के नीचे ही गैर-कानूनी काम बेरोक-टोक चल रहा है। जैसे-जैसे मानसून नजदीक आते जा रहा है लाल बालू का भी कारोबार शुरू कर दिया गया है।

रात के सन्नाटे में शुरू होता है खेल

रात के सन्नाटे और अंधेरे में खनन माफिया के आदमी बेखौफ तरीके से सफेद बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। नदी के पास कई ट्रैक्टर-ट्रॉली खाली आते हैं। इसके बाद बालू लोड करके चले जाते हैं। इस मनमानी पर लगाम लगती नहीं दिख रही है। पुलिस का रवैया इस मामले में सवालों के घेरे में है। बालू ढुलाई के बाद भगवान बाजार थाना क्षेत्र के सदर अस्पताल रोड, बरहमपुर रोड, टक्कर मोड रोड से ही ट्रैक्टर-ट्रॉली और ट्रक गुजरते हैं, लेकिन कोई रोकने वाला नहीं। विभिन्न चौक चौराहों पर तैनात पुलिस उनसे पूछताछ तक नहीं करती। खनन माफिया इस प्राकृतिक संपदा का दोहन कर मालामाल हो रहे हैं।

माफिया के गुर्गे बेखौफ

खनन के इस खेल में माफिया के गुर्गे बेखौफ हैं। उन्हें पुलिस की कोई परवाह नहीं है। खनन माफिया के गुर्गे अवैध खनन करते हैं। पूरी रात बालू से लदे ट्रैक्टर ट्रॉली भगवान बाजार और नगर थाना क्षेत्र के विभिन्न सड़कों  से गुजरते रहते हैं। इसके बावजूद पुलिस कान में रुई लगाकर बैठी रहती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं इस काले कारोबार में कोई प्रशासनिक मिलीभगत तो नहीं है।

ब्रोंकाइटिस का शिकार हो रहे हैं मॉर्निंग वॉक वाले

सफेद बालू की इस काले कारोबार ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। धंधेबाज अवैध कमाई कर रहे हैं। साथ में ब्रोंकाइटिस समेत अन्य बीमारिया बांट रहे हैं। अब तो डर या लग रहा है कि जिस रफ्तार से धूल और धूल का हवा में मिल रहे हैं ऐसी स्थिति में शहर में  काफी संख्या में ब्रोंकाइटिस के शिकार मत हो जाए। सफेद बालू के अंधाधुंध ढुलाई के कारण स्कूली बच्चों से लेकर बड़े लोग ब्रोंकाइटिस समेत अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसी रास्ते से होकर हजारो बच्चे अपने-अपने स्कूल जाते हैं. जब भी इधर से कोई वाहन गुजरता है तो सड़क के चारो ओर धूल उड़ने लगती है. यह धूल सीधे-सीधे हवा में मिलकर बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाती है और बच्चों में कई गंभीर बीमारियों की आशंका बनी रहती है।

एनजीटी को भी ठेंगा

बालू का अवैध खनन और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्यों की टीम अगस्त 2021 में जिले के विभिन्न बालू घाटों की जांच की थी। जिले के डोरीगंज से लेकर सोनपुर तक बालू घाटों की जांच की थी। इस दौरान बालू के अवैध खनन को रकने को लेकर टीम ने कई निर्देश दिए। साथ ही चेताया था कि यदि आप शिकायत मिलती है तो एनजीटी स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर देगी।

मिली जानकारी के मुताबिक सफेद बालू से हर साल आमदनी 12 से 15 करोड़ की होती है। सारण में स्वीकृत घाट 31 हैं, जबकि कुल कलस्टर घाट 12, बंदोबस्त घाटों की संख्या 22, बंदोबस्त क्लस्टर घाट 8 और बंदोबस्ती से वंचित घाट की संख्या 9 है। 

छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट

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