दिल्ली. टेलिकॉम सेक्टर में कड़ी प्रतिस्पर्धा से बेहाल वोडाफोन आइडिया ने अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है. कंपनी के इस रेस्क्यू प्लान में अब सीधे केंद्र सरकार को साझीदार बनाया जाएगा. इस फार्मूले के तहत भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने कहा है कि केंद्र सरकार कंपनी (वोडाफोन आइडिया) में लगभग 36 फीसदी हिस्से का मालिकाना हक रखेगी.
कंपनी के बोर्ड ने कंपनी के कर्जों को इक्विटी में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. कंपनी की स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्तों और AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के कर्ज को इक्विटी में बदला जायेगा. Bloomberg की एक रिपोर्ट में वोडाफोन-आइडिया के एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के हवाले से कहा गया है कि इस कन्वर्जन के बाद कंपनी में वोडाफोन ग्रुप के पास 28.5% हिस्सा और आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास 17.8% हिस्सा रहेगा.
इसे वोडाफोन आइडिया का रेस्क्यू प्लान करार दिया जा रहा है क्योंकि कंपनी पिछले कई सालों से टेलीकॉम बाजार में संघर्ष कर रही है. वोडाफोन ग्रुप ने साल 2018 में कुमार मंगलम बिड़ला की कॉन्गलोमरेट कंपनी के साथ विलय किया था. उनकी कंपनी आइडिया और वोडाफोन साथ आये और वोडाफोन-आइडिया बना. पिछले साल कंपनी की ब्रांडिंग हुई थी और इसे नया नाम ‘Vi’ दिया गया, लेकिन सख्त बाजार में कंपनी अभी भी कई वित्तीय समस्याओं से गुजर रही है.
कंपनी ने Reliance Jio की लॉन्चिंग के बाद से उससे और एयरटेल से लगातार कड़ी प्रतिस्पर्धा झेल रही है. बड़ी संख्या में उसके कस्टमर शिफ्ट हुए हैं. Reliance Jio Infocomm Ltd ने 2016 में अपनी लॉन्चिंग के बाद टेलीकॉम सेक्टर में एक प्राइस वॉर छेड़ दिया था, जिससे मार्केट तो सस्ता हुआ, लेकिन दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के लिए चीजें बहुत कठिन हो गयी. वोडाफोन पिछले कुछ टाइम से सुप्रीम कोर्ट में एजीआर बकाये को लेकर भी लड़ाई लड़ रही थी. वोडाफोन आइडिया के लिए स्थिति काफी गंभीर रही है. कंपनी पर 58,000 करोड़ का बकाया है.