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यूपी में मौत और हत्या के बीच का फर्क मिट गया है ... मुख्तार अंसारी की मौत के बाद राजद ने खोला मोर्चा, तेजस्वी -मनोज झा का बड़ा हमला

यूपी में मौत और हत्या के बीच का फर्क मिट गया है ... मुख्तार अंसारी की मौत के बाद राजद ने खोला मोर्चा, तेजस्वी -मनोज झा का बड़ा हमला

DESK. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद बिहार में सियासत गरमाई हुई है. राजद की ओर से मुख़्तार अंसारी की मौत पर शीर्ष नेताओं द्वारा कहा गया है कि यूपी में मौत और हत्या का फर्क मिट गया है. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनके परिजन आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें लम्बे अरसे से धीमा जहर दिया जा रहा था. यही कारण है कि अब उनकी मौत हुई है जिसे हृदयाघात बताकर मामले को ढंका जा रहा है. मुख्तार अंसारी की संदेहास्पद मौत के आरोपों के बीच राजद ने भी सवाल उठाए हैं. बिना किसी का नाम लिए तेजस्वी यादव और मनोज झा ने तीखा हमला बोला है. 

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘यूपी से पूर्व विधायक श्री मुख्तार अंसारी के इंतकाल का दुःखद समाचार मिला। परवरदिगार से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति तथा शोकाकुल परिजनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। उन्होंने कहा, कुछ दिन पूर्व उन्होंने शिकायत की थी कि उन्हें जेल में जहर दिया गया है फिर भी गंभीरता से नहीं लिया गया। प्रथम दृष्टया ये न्यायोचित और मानवीय नहीं लगता। संवैधानिक संस्थाओं को ऐसे विचित्र मामलों व घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।‘ वहीं राजद प्रवक्ता मनोज झा ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश एक अलग किस्म का राज्य बन गया है. यूपी में मौत और हत्या का फर्क मिट गया है. उन्होंने कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव ने सही सवल उठाया है. मनोज झा ने कहा कि जब मौत और हत्या का फर्क मिट जाए तो अराजकता आ जाती है. 

 60 से अधिक मामले :माफिया मुख्तार अंसारी को कई मामलों में सजा सुनाई गई थी. मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और सहित कई राज्यों में लगभग 60 से अधिक मामले लंबित थे. 7 अप्रैल 2021 को मुख्तार अंसारी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब के रोपड़ से बांदा जेल लाया गया था. यूपी में जब योगी आदित्यनाथ ही सरकार बनी, उसके बाद उसे पंजाब से यूपी लाने को लेकर लंबी खींचतान हुई. बाद में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे यूपी स्थानांतरित करने का आदेश दे दिया था.

मुख्तार अंसारी की सियासी सफलता : दरअसल, मुख्तार 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार के तौर पर उतरा और सदर से जीत भी हासिल की थी। इसके बाद उसने पलटकर नहीं देखा। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2002 और 2007 में चुनाव जीता. मुख्तार अंसारी साल 2012 में कौमी एकता दल का गठन करके चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल कर चौथी बार जीत का रिकार्ड बनाया. साल 2017 विधानसभा चुनाव में बीएसपी से उतरने के बाद भाजपा की लहर में भी जीत हासिल की थी.

कृष्णानंद राय हत्याकांड : भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई गई थी. वहीं कोर्ट ने 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.



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