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दहेज में मिली थी हथिनी... 46 साल बाद मौत: जिले की इकलौती हथिनी को दुल्हन की तरह सजाकर अंतिम सफर के लिए किया विदा

दहेज में मिली थी हथिनी... 46 साल बाद मौत: जिले की इकलौती हथिनी को दुल्हन की तरह सजाकर अंतिम सफर के लिए किया विदा

SHEIKHPURA : शेखपुरा में दहेज में मिली 46 साल की हथिनी की मौत हो गई। अनारकली रविवार को जैसे बैठी थी उसी पॉजिशन में उसकी मौत हो गई। इसके बाद क्रेन की मदद से शव को उठाया गया। अंतिम संस्कार के लिए अनारकली को दुल्हन की तरह सजाया गया। जिस जगह वो रहती थी उसके पास ही गड्ढा खोदकर पूरे रिति रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मामला बरबीघा प्रखंड अंतर्गत केवटी पंचायत के मिल्कीचक गांव का है। गांव के जमींदार सूर्यमणि सिंह को उनके ससुर ने 1978 में ये हाथी 10 हजार रुपए में खरीदकर शादी में गिफ्ट किया था। तब से सूर्यमणि उसका अपने बच्चों की तरह ख्याल रखते थे।

400 बीघे के मालिक ससुर ने 200 बीघे के मालिक दामाद को किया था हाथी गिफ्ट

सूर्यमणि सिंह अपने पिता कामेश्वरी सिंह के एकलौते बेटे थे। वो 200 बीघा जमीन के अकेले वारिस थे। उन्होंने मेहूस गांव में सुंदर सिंह कॉलेज, पावर ग्रीड, हाई स्कूल और सरकारी हॉस्पिटल के लिए अपनी जमीन सरकार को दी। जबकि वो 400 बीघा जमीन के मालिक थे। उनकी इच्छा थी कि बेटी की शादी में वो दामाद को हाथी गिफ्ट करेंगे। हथिनी का पार्थिव शरीर क्रेन की मदद से मिल्की चक गांव से मेहूस लाया गया है। जहां किसान सूर्यमणि सिंह के हाथीखाना और उनके दालान के बगल में उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस हथिनी का कोई बच्चा नहीं था।

जिले की शान थी अनारकली

जिले की शान रही 46 साल की अनारकली नामक मादा हाथी की आकस्मिक मौत हो गई। मौत से पूरे जिले में गम का माहौल छा गया है। हथिनी की मौत उसके महावत मो फईमउद्दीन के घर पर हुई है। दरअसल अनारकली पिछले 44 वर्षों से मेंहूस गांव निवासी और जाने माने किसान सूर्यमणि सिंह के घर की शोभा बढ़ा रही थी। रविवार की देर रात्रि अचानक उसकी मौत होने से महावत और मालिक का पूरा परिवार भी सदमे में है। अनारकली ना केवल उक्त गांव, बल्कि वर्तमान में शेखपुरा जिले के लिए भी शान की बात थी।

जानकारी के मुताबिक कुछ महीने पहले हाथीखाना में एक सांप घुस जाने की वजह से वह लगातार अपने आप को असहज महसूस कर रही थी। कुछ दिनों से बीमार रहने की वजह से उसे रविवार की रात मन बहलाने के लिए महावत मिल्कीचक लाया था। यहां रात में ही सोई हुई मुद्रा में उसकी मौत हो गई।

जेसीबी की मदद से उठाया गया, अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे

62 साल के मो फईमउद्दीन शुरू से ही इसके महावत के रूप में रखवाली किया करते थे। बता दें कि शेखपुरा, नालंदा, नवादा सहित आसपास के कई जिलों में किसी राजा - राजवाड़े या बड़े किसान के पास हाथी नहीं है। लोगों के मुताबिक नजदीक के लखीसराय ( पिपरिया) में एक हाथी को छोड़कर आसपास के जिलों में कोई पालतू हाथी नहीं है।

हाथी की औसत आयु 50-70 साल हाथी ज़मीन का सबसे बड़ा जीव है। एक हाथी की औसत आयु 50 से 70 साल होती है। हाथी का गर्भ काल 22 महीनों का होता है, जो कि ज़मीनी जीवों में सबसे लम्बा है। जन्म के समय हाथी का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है।


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