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लालू-नीतीश के समय हुए अतिक्रमण को मोदी सरकार की पहल पर मिली मुक्ति ... सम्राट चौधरी का ऐलान - भाजपा मनाएगी ‘विजय उत्सव’

लालू-नीतीश के समय हुए अतिक्रमण को मोदी सरकार की पहल पर मिली मुक्ति ...  सम्राट चौधरी का ऐलान - भाजपा मनाएगी ‘विजय उत्सव’

पटना. सम्राट अशोक से जुड़े बिहार के इकलौते करीब 2300 साल पुराने शिलालेख को 25 साल बाद  अतिक्रमण से मुक्त करा दिया गया है. शिलालेख के अतिक्रमण मुक्त होने पर बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने बुधवार को इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का साकार होना बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा ने सासाराम स्थित इस शिलालेख को अतिक्रमण मुक्त कराने की पहल की थी. इस पुरातात्विक धरोहर पर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की सरकार के समय अतिक्रमण हुआ. अब इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय की पहल पर अतिक्रमण मुक्त कराया जा सका है. उन्होंने कहा कि अतिक्रमण मुक्त हो चुके शिलालेख की पूजा वे अगले 10 दिनों में करने जा रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि पिछले 25 साल से कांग्रेस पार्टी के नेता ने सम्राट अशोक के शिलालेख पर अवैध कब्जा किया हुआ था. सम्राट अशोक के शिलालेख को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 12 पत्र बिहार सरकार को भेजा गया था. अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से अतिक्रमण को खाली कराने के लिए मॉनिटरिंग की गई. पीएमओ द्वारा पुरातत्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई की गई. उन्होंने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि बीजेपी अब इसे लेकर विजय उत्सव मनाएगी. सम्राट अशोक के शिलालेख को अतिक्रमण मुक्त किया जा चुका है. उसकी वहां बीजेपी अगले 10 दिनों में पूजा करेगी. साथ ही केंद्र सरकार का बिहार सरकार से आग्रह होगा कि इस शिलालेख का सौंदर्यीकरण कार्य किया जाए. 

दरअसल, सासाराम स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्मारक को अतिक्रमण कर मजार बना दिया गया था। इस पर चादर चढ़ाई जाती थी। इतना ही नहीं शिलालेख पर चूना लगाकर इसे नष्ट करने की कोशिश भी की गई। शिलालेख को कब्जे से मुक्त कराने के पहले भी प्रयास किए गए, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पा रही थी। लेकिन पिछले दो माह से इसे कब्जे से मुक्त कराने के लिए प्रशासन पर लगातार दबाव बना हुआ था। 


पुरातत्व विभाग के इस संरक्षित स्थल पर लगाए गए बोर्ड को भी अतिक्रमणकारियों ने उखाड़ कर फेंक दिया था। यहां तक कि शिलालेख पर चूना पोतकर कर उसे नष्ट करने की भी कोशिश की गई। इस ऐतिहासिक शिलालेख के आगे लोहे का गेट लगा दिया गया था। पुरातत्व द्वारा बार-बार मांगने पर भी उसकी चाबी नहीं दी जा रही थी। कई बार विभाग ने जिला प्रशासन को इसके लिए लिखा, लेकिन शिलालेख मुक्त नहीं हो सका था। कुछ महीने पूर्व इसे अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर भाजपा की ओर से प्रदर्शन भी किया गया था. अंततः मंगलवार को इसे अतिक्रमण मुक्त कराने में सफलता मिली. 

सासाराम के चंदन पहाड़ी पर बने शिलालेख को लेकर जानकार बताते हैं कि कलिंग युद्ध के बाद जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और देश और दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार करने लगे। उसी दौरान सारनाथ की ओर जाने के क्रम में सम्राट अशोक इसी चंदन पहाड़ी के पास रुके थे। अपने धर्म प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह शिलालेख चंदन पहाड़ी पर लिखा गया था। इस तरह के लघु शिलालेख सासाराम के अलावा उत्तर प्रदेश एवं कैमूर जिला में भी है। जिसमें बौद्ध धर्म के प्रचार के संबंध में शिलालेख अंकित किया गया है। हालांकि 90 के दशक में इस पर अतिक्रमण कर लिया गया और शिलालेख को मजार का रूप दे दिया गया. 


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