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मुख्तार और जेल का खेल,बैरक में सजती थी डॉन की महफिल..कारागार में खोल देता था क्राइम की कोचिंग क्लास..

मुख्तार और जेल का खेल,बैरक में सजती थी डॉन की महफिल..कारागार में खोल देता था क्राइम की कोचिंग क्लास..

लखनऊ- माफिया से राजनेता बना मुख्तार अंसारी दुनिया से रुखस्त हो गया है लेकिन एक ऐसा भी दौर था जब पूर्वांचल में उसकी तूती बोलती थी. मुख्तार पर जैसे जैसे केसों की संख्या में इजाफा होता रहा वैसे वैसे उसका रुतबा भी बढ़ता गया.  रुंगटा के परिवार को हड़काने का मामला हो या फिर भाजपा एमएलए कृष्णानंद राय की हत्या का मामला, मुन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या का मामला हो या फिर फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने का मामला... एक के बाद एक करीब 65 केस मुख्तार अंसारी के ऊपर दर्ज हो गए. इनमें से लगभग 21 केस विचाराधीन हैं.  इनमें आठ मामलों में मुख्तार को सजा भी हो चुकी थी. 2005 में मुख्तार अंसारी को पहली बार जेल हुई तो तब से वह हाल हवेली में हीं कैद था.

मुख्तार का जेल में सजता था दरबार 

यूपी में 1990 के बाद का एक था कि मुख्तार के जेल जाने की खबर के साथ हीं सरगर्मियां बढ़ने लगती थीं. अंसारी के लाल हवेली पहुंचने से पहले उसके जरुरी सामान जेल पहुंच जाते थे. मुख्तार के चेले जमानत रद्द करा कर वापस जेल में मुख्तार के पास वापस पहुंच जाते थे. जेल में हीं मुख्तार अंसारी का दरबार लगता था. 1990 के दौर में मुख्तार अंसारी का काला साम्राज्य बढ़ता जा रहा था.कथित तौर पर जेल के अंदर माफिया मुख्तार अंसारी की यूपी सरकार के समांनांतर  सरकार चला करती थी. हैरानी ये कि मुख्तार अंसारी के लिए अलग-अलग बैरकों में पूरा घर तैयार कर दिया जाता था, यहां से धन उगाही से लेकर अपहरण, मर्डर और अन्य कई तरह के अपराध को अंजाम दिया जाता था. 

जेल में दिया जाता था अपराध का प्रशिक्षण

एक बैरक में मुख्तार अंसारी का सेज रहता तो दूसरे में उसका साजो सामान रखा जाता था. जेल में ही मुख्तार अंसारी के चेलों  को 'जेल में रहकर भी बाहर की दुनिया से पूरी तरह आपराधिक तौर पर न सिर्फ जुड़े रहना, बल्कि जेल के भीतर अपनी मनमर्जी से पूरी हुकूमत चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था.  

स्याह दुनिया की काली कहानी

कहा तो यहां तक जाता है कि मुख्तार अंसारी का दबदवा बनाए रखने के लिए जिस बैरक में वह बंद होता था, उसके आसपास की बैरकों की जमीन के नीचे हथियारों का पूरा जखीरा दफन होता था.  उस दौर में उत्तर प्रदेश में जरायम की दुनिया को करीब से समझ वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि हालात यह हो गए थे कि जिस जेल में मुख्तार अंसारी जाता था, वहां का स्टाफ या तो अपना तबादला कर लेता था या फिर कुछ लोग उसके खौफ से उसके इर्द-गिर्द ही घूमने लगते थे. ऐसे हालात में उसका पूरा आपराधिक वर्चस्व बना रहता था.

अपराधियों के अलग अलग क्षेत्र बंटे थे 

साल 2000..यूपी में अलग-अलग क्षेत्र में माफियाओं का अपना वर्चस्व हुआ करता था. स्थिति ये थी कि गोरखपुर, बनारस, मऊ, बलिया, गाजीपुर, लखनऊ, उन्नाव, फैजाबाद जैसे इलाकों के अलग-अलग माफिया अपने-अपने इलाकों को छोड़कर दूसरे के क्षेत्र में दखल देने लगे थे. माफिया मुख्तार अंसारी ने लखनऊ में  एक प्लॉट खरीदा और वहां उसके मकान बनाने की खबर जैसे हीं माफिया और  एमएलसी रहे अजीत सिंह को लगी तो उन्होंने  मुख्तार अंसारी को खुली चुनौती देते हुए लखनऊ में मकान न बनवाने की हिदायत दी.अजीत सिंह ने मुख्तार अंसारी को चुनौती देते हुए कहा कि वह जिस इलाके में रहकर अपना नेटवर्क चलाते हैं, वहीं पर रहकर अपना घर बनवाएं. एकरफ अजूत सिंह दूसरी तरफ मुख्तार अंसारी....मामले ने तूल पकड़ लिया. इतना बढ़ा कि उस वक्त की सरकार में एक ताकतवर कैबिनेट मंत्री के साथ उत्तर प्रदेश के अलग-अलग माफियाओं की एक 'डॉन पंचायत' की गई. इस पंचायत में तय हुआ कि जो जिस इलाके का माफिया है, वह उस इलाके में अपने वर्चस्व को कायम कर ठेकेदारी का काम करें तो बेहतर होगा.

जेल से हीं डील होने लगे काले खेल

अपराध से राजनीति में आये मुख्तार अंसारी जेल से चुनाव जीतता रहा और माननीय बनने के साथ ही उनका दरबार लखनऊ में भी लगने लगा. मुख्तार विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने जरूर आता...इसकी आड़ में ही वह विधानभवन गेट से लेकर जेल के अंदर तक अपने गुर्गों से मिलता था. जेल के अंदर सब कुछ उसके इशारे पर होता था. यही से उसकी सारी डीलिंग तय होती थी और ठेके मैनेज किये जाते थे.

लखनऊ में भी अंसारी की बोलती थी तूती

सत्र में हिस्सा लेने के बाद मुख्तार जब जेल पहुंचता था तो वहां पहले से ही दर्जनों लोग उससे मुलाकात करने के लिये मौजूद रहते थे.कथित तौर पर मुख्तार से मिलने जाने वाले शख्स को कोई औपचारिकता नहीं पूरी करनी पड़ती थी. जेल गेट पर मुख्तार का नाम लेते ही उसे सीधे अंदर जाने दिया जाता था. लखनऊ जेल में उसकी तूती बोलती थी. इसको लेकर कई बार यूपी में हंगामा भी हुआ लेकिन क्या मजाल की मुख्तार पर कोई आंच आई है. लेकिन साल 2017 के बाद स्थिति बदल गई. जो दूसरों के जान का प्यासा हो वह अपनी जान के लिए गुहार लगाने लगा. उसने शासन प्रशासन पर जहर देने का आरोप तक लगा दिया,जिसकी जांच चल रही है. 

जेल बदलती रही लेकिन नहीं बदला तो मुख्तार का रुतबा

मुख्तार की जेल बदलती रही लेकिन क्या मजाल की रुतबा कम हुआ हो... जेल में रहने के बाद बावजूद मुख्तार अंसारी के नाम से अच्छे-अच्छों का पसीना छूट जाता था... मुख्तार अंसारी कुछ महीने पंजाब की जेल भी काटकर आया...

योगी सरकार ने कसा शिकंजा

साल  2017 में योगी सरकार आने के बाद माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरु हुआ तो मुख्तार पर भी कानून का डंडा बरसना शुरु हुआ. केस खुलने शुरु हो गए, सुनवाई के साथ हीं सजा भी सुनाया जाने लगा तो  मुख्तार घुटनों पर आ गया था. अपने काले कारनामों के कारण उसे  पिछले कई महीनों से बांदा जेल में बंद था. 

65 केस में आरोपी था मुख्तार

माफिया मुख्तार अंसारी पर कई जिलों में 65 मुकदमे दर्ज हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार मुख्तार अंसारी के सबसे ज्यादा मुकदमे गाजीपुर में दर्ज हैं. इसके अलावा वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, नई दिल्ली, पंजाब, चंदौली, सोनभद्र, आगरा, लखनऊ, बाराबंकी, बांदा में भी कई आपराधिक मामलों में केस दर्ज हैं.माफिया मुख्तार अंसारी को वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने  फर्जी शस्त्र लाइसेंस से जुड़े एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. 

काले कारनामों की सजा मिलेगी जरुर

माफिया मुख्तार अंसारी सुपुर्द-ए- खाक हो चुका है. उसके मौत की न्यायिक जांच चल रही है. उसके बेटे उमर के आरोप की मुख्तार को जहर दे कर मारा गया की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से नहीं हो पाई . रिपोर्ट के अनुसार उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी. अब न्यायिक जांच के बाद पता चलेगा कि मुख्तार के मौत का कारण क्या था. बहरहाल  माफिया मुख्तार अंसारी के मौत से इतना तो तय हो गया कि जयराम की दुनिया स्थायी नहीं होती, काले कारनामों की सजा मिलती जरुर है ,अब सजा चाहे कोर्ट दे या भगवानी, दंड मिलेगा जरुर...


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