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बिगड़ैल IAS 'अफसर' का उतर गया भूत! नेताओं को 'ठेंगे' पर रखने वाले अधिकारी को इस बार तेजतर्रार 'माननीयों' से पड़ गया पाला,पढ़ें....

बिगड़ैल IAS 'अफसर' का उतर गया भूत! नेताओं को 'ठेंगे' पर रखने वाले अधिकारी को इस बार तेजतर्रार 'माननीयों' से पड़ गया पाला,पढ़ें....

PATNA: बिहार में अफसरशाही की चर्चा हर तरफ होती है। कुछ ऐसे अफसर हैं जो किसी की नहीं सुनते। वो अपने आप को सबसे ताकतवर मानते हैं। इसके पीछे की वजह यह होती है कि उनका सीधा कनेक्शन ऊपर तक होता है। ऐसे में वो 'अन्य' से क्यों डरें? माननीय को ठेंगा दिखाने में वैसे अफसरों को आनंद आता है। कुछ दिन पहले की बात है जब हाऊस के बेहद करीबी और बिगड़ैल आईएएस अफसर ने एक मजबूत कमिटी के साथ यही हरकत किया. लेकिन इस बार यह हरकत उन्हें महंगा पड़ गया। कम जानकार माननीयों को ठेंगा पर रखने वाले अफसर को इस बार काफी जानकार और तेजतर्रार माननीयों से पाला पड़ गया। वो समझे थे कि हमारा कनेक्शन ऊपर का है तो फिर ऐसी कमिटी से भला क्या डर? लिहाजा जूनियर को भेज कमिटी के माननीयों को अपनी ताकत का अहसास कराना चाहा। लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि बिगड़ैल आईएएस अफसर की हनक ही उतर गई।

ठेंगा दिखाना पड़ गया महंगा 

बात अक्टूबर महीने की है। जब एक काफी ताकतवर अफसर ने सदन की सबसे मजबूत कमिटी को अपनी क्षमता दिखाने की कोशिश की। वो कमिटी जिसके अध्यक्ष हमेशा विपक्ष के विधायक होते हैं। अन्य सदस्यों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य होते हैं। यह कमिटी काफी अहम और ताकतवर मानी जाती है। कमिटी लेखा -जोखा में उठाये गये बिंदूओं का निराकरण करती है। कमिटी की बैठक में सभी विभागों के प्रमुख एक-एक कर शामिल होते हैं जो आपत्ति होती है उस संबंध में अपना पक्ष रखते हैं या सुधार करते हैं। बिहार सरकार की तरफ से भी सभी विभागों के प्रधान को साफ निर्देश है कि सदन की इस कमिटी की बैठक में विभागीय प्रधान ही जायेंगे।लेकिन उस अफसर ने सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए खुद की बजाए एक जूनियर अफसर को सबसे ताकतवर कमिटी की बैठक में अपना प्रतिनिधि बनाकर भेज दिया। जब कमिटी के अध्यक्ष व अन्य माननीयों ने बैठक में शामिल होने आये जूनियर अफसर से पूछा-आपके प्रधान कहां हैं ? वो संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाये। इसके बाद अध्यक्ष ने कमिटी बैठक को स्थगित कर अगली तारीख दे दी। 

जानकार माननीयों से पाला पड़ा तो भागे-भागे पहुंचे

अगली तारीख को वो बिगड़ैल अफसर फिर से वही हरकत कर बैठे। इस बार मुख्य सचिव के यहां बैठक का बहाना बना एक जूनियर अफसर को सदन की कमिटी में भेज दिया। यह देख माननीयों का गुस्सा चढ़ गया और विभागीय प्रधान के इस हरकत को विधायिका का अपमान बताया। फिर क्या था मीटिंग में तय हुआ कि इस बिगड़ैल और कमिटी के साथ-साथ माननीयों का अपमान करने वाले विभागीय प्रधान की हनक उतारी जाये। सबसे मजबूत कमिटी की बैठक में तय हुआ कि उस ताकतवर अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर सरकार के पास लिखित शिकायत की जाये। मीटिंग में जो बातें तय हो रही थी उस समय उस विभागीय प्रधान के जूनियर भी मौजूद थे। जैसे ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश का प्रस्ताव पास हुआ तुरंत उस विभागीय प्रधान को इसकी सूचना दी गई। इधऱ बैठक को स्थगित कर कमिटी के सभी माननीय कमिटी के सभापति के चैंबर में पहुंच गये। इधर,जैसे ही सूचना मिली कि उनके खिलाफ विभागीय और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा वे भागे-भागे कमिटी के अध्यक्ष के चैंबर में पहुंचे। वे पसीने से तर-बतर थे। आते ही उन्होंने कमिटी के अध्यक्ष और सदस्यों से लगतार तीन बार खेद व्यक्त किया,साथ ही आगे इस तरह की गलती नहीं दुहराने की बात कही। बिगड़ैल अफसर का सारा भूत अध्यक्ष के चैंबर में उतर गया था। फिर खेद व्यक्त करने के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश का प्रस्ताव वहीं खत्म हो गया। 

जानें कौन हैं वो माननीय व अफसर

आपको बता दें, आखिर वो कौन माननीय हैं जिनकी वजह से एक बेहद ही ताकतवर अधिकारी का भूत उतरा?  दरअसल इस कमिटी में भाजपा के काफी तेजतर्रार माने जाने वाले माननीय हैं। वे पहले सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में वो उस ताकतवर कमिटी के सदस्य हैं. वहीं बिहार भाजपा संगठन में भी पदधारक हैं। वहीं दूसरे सदस्य भी भाजपा से ही हैं और ऊपरी सदन के सदस्य हैं। वहीं कमिटी के अध्यक्ष राजद के एक माननीय हैं। उस आईएएस अफसर के बारे में बतायें कि वो साफ-सफाई वाले वाले विभाग का जिम्मा संभाल रहे। इनके बारे में कहा जाता है कि वो जिस विभाग में रहे वहां के माननीय से छत्तीस का रिश्ता रहा है। जानकार बताते हैं कि वर्तमान में वे जिस विभाग का जिम्मा संभाल रहे वहां के माननीय डिप्टी... से भी नहीं बन रही। 

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